नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनावों के लिए अस्पताल का मुद्दा कोई नया मुद्दा नहीं है और सालों से इसी मुद्दे को आधार बनाकर चुनाव लड़ा जा रहा है. कहा जाता है कि सरदार परमजीत सिंह सरना से दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष पद की गद्दी इसी बाला साहेब गुरुद्वारा परिसर में प्रस्तावित अस्पताल के चलते गई थी.
कमेटी अध्यक्ष पद संभाल रहे मनजिंदर सिंह सिरसा मौजूदा समय में अस्पताल बना देने का दावा कर चुके हैं और इसके उद्घाटन की तारीख भी तय कर चुके थे. लेकिन आचार संहिता के चलते इस पर रोक लग गई या यूं कहें कि लगवा दी गई. अस्पताल बनने और चलाने को लेकर जद्दोजहद करीब 2 दशक पुरानी है. साल 2017 और इससे पहले साल 2013 में भी इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ा गया था.
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मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में शिरोमणि अकाली दल दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी पर राज कर रहा है. पहले सरदार मनजीत सिंह जीके इसी दल से दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष थे, लेकिन भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा भ्रष्टाचार के मामले में तमाम आरोपों से घिरे हुए हैं. गुरु की गोलक चोरी, पैसों का हेरफेर, धर्म की गलत जानकारी और धर्म प्रचार में फेल साबित होने जैसे तमाम आरोप उन पर लग रहे हैं. इसी के चलते भ्रष्टाचार का मुद्दा कमेटी के तीनों प्रमुख दल शिरोमणि अकाली दल, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली और जागो पार्टी के लिए मुद्दा है. जो सत्ता में रहे हैं वो पाक साफ होने का दावा करते हुए एक बार फिर से मौका देने की मांग कर रहे हैं तो सत्ता से दूर लोग सत्ताधारियों को बेईमान बताकर मौका मांग रहे हैं.
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उधर दिल्ली कमेटी के अधीन चल रहे शैक्षिक संस्थानों में कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलने की समस्या और गुरु की गोलक खाली होने के पीछे भी पार्टियां एक दूसरे से सवाल पूछ रही हैं. यही सवाल इलाकों में लोग और सोशल मीडिया पर कर्मचारी पूछते हैं. लाखों-करोड़ों की गुरु घर की सेवा का पैसा आखिर जा कहां रहा है और आने वाले दिनों में ये समस्या का समाधान कैसे होगा, ये भी एक सवाल है. खैर इसका जवाब उम्मीदवार लेकर जा रहे हैं.
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बेअदबी कांड हो या गुरु ग्रंथ साहिब चोरी होने का मामला, दिल्ली कमेटी के लिए उम्मीदवार संगत के मन में आए हर उस विचार को मुद्दा बनाने के लिए आतुर हैं जो उन्हें फायदा दिला सकता है. धर्म प्रचार की अहम ज़िम्मेदारी के साथ कमिटी के अधीन चलने वाले तमाम गुरुद्वारे, दवाखाने और संस्थान आदि के प्रबंधन को बेहतर करना भी ज़िम्मेदारी है. मौजूदा समय में हर दल कोशिश कर रहा है कि लोगों का विश्वास जीते. हालांकि कौन इसमें कामयाब होगा ये वक्त बताएगा.