नई दिल्ली: दिल्ली दंगा के दौरान राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किए गए पांच लोगों में से एक पीड़ित का बयान दर्ज करने का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया है. सोमवार को दिए आदेश में कोर्ट ने कहा कि मोहम्मद वसीम का बयान एक सप्ताह के भीतर सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया जाए. बीते वर्ष 2020 में इस घटना दौरान अपनी जान गंवाने वाले 23 वर्षीय पीड़ित फैजान की मां किस्मतुन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश पारित किया है.
पीड़ितों की और से पेश हुए वकील महमूद प्राचा ने कोर्ट में कहा कि जो कुछ हुआ था, वह उसके चश्मदीद गवाह थे. इसलिए वह अपना बयान दर्ज कराना चाहेंगे. विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने दावे को चुनौती देते हुए कहा कि मामले में दिल्ली पुलिस ने वसीम को पहले जांच में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन सहयोग नहीं किया था. इस मामले में न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी और आदेश दिया.
दिल्ली पुलिस पर पिटाई का आरोपः पीड़ित की मां किस्मतुन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उस दौरान कर्दमपुरी में पुलिसकर्मियों ने फैजान पर बेरहमी से हमला किया था और फिर उसे ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में अवैध रूप से हिरासत में भी ले लिया. जहां उसे किसी भी तरह की चिकित्सा से वंचित कर दिया गया. जिससे कारण अंततः उसकी मौत हो गई.
याचिका में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन और घटना की अदालत की निगरानी में जांच और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की मांग भी की गई है. वकील वृंदा ग्रोवर भी किस्मतुन के लिए पेश हुए. उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस की एसआईटी केवल एक दिशा में आगे बढ़ी है और ज्योति नगर में स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) की भूमिका की जांच करने के लिए कुछ भी नहीं किया है. जहां फैजान के साथ मारपीट की गई थी.
याचिका में जांच पर भी सवालः उन्होंने कहा कि ज्योति नगर थाने के एसएचओ और अधिकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी कर रहे हैं और इतना कुछ होने के बावजूद वे पुलिसकर्मी जांच के दायरे से बाहर हैं. ये घटना फरवरी 2020 में हुई थी. आज हम मई 2023 में हैं, जो सवाल मैं खुद से पूछता हूं वह यह है कि जब आरोपी वर्दी में होते हैं तो क्या कोई अलग सीमा होती है? उन्होंने आगे कहा कि मामले की जांच हमेशा के लिए और तब तक चल सकती है जब तक कि अदालत की निगरानी में जांच नहीं की जाती है. यह कभी खत्म नहीं होगी. मुझे अनंत काल तक प्रतीक्षा करने के लिए नहीं कहा जा सकता है. ग्रोवर की दलीलें पूरी होने के बाद खंडपीठ ने मामले को एसपीपी अमित प्रसाद को 30 मई को प्रस्तुत करने के लिए सूचीबद्ध किया है.