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दिल्ली में रोजाना लापता हो रहे हैं औसतन 15 बच्चे, देखें ये रिपोर्ट

दिल्ली में औसतन 12 से 15 बच्चे रोजाना गायब हो जाते हैं. लापता हुए इन बच्चों को तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ही नहीं बल्कि हर थाने में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाई गई है. बावजूद इसके दिल्ली पुलिस इन बच्चों को तलाशने में नाकाम साबित हो रही है. पढ़ें ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट...

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Published : Dec 25, 2020, 4:22 PM IST

Updated : Dec 25, 2020, 10:42 PM IST

missing children in Delhi
दिल्ली में लापता बच्चे

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में औसतन 12 से 15 बच्चे रोजाना गायब हो जाते हैं. इन बच्चों को तलाशने के लिए ना केवल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच बल्कि प्रत्येक थाने में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाई गई है, लेकिन इसके बावजूद लगभग 60 से 70 फीसदी बच्चों को ही पुलिस तलाश पाती है.

रोजाना लापता हो रहे औसतन 15 बच्चे

जानकारी के अनुसार दिल्ली में सबसे ज्यादा बच्चे बाहरी दिल्ली से खोते हैं. यहां का अमन विहार, प्रेम नगर, किराड़ी, अगर-नगर, रणहौला ऐसे क्षेत्र हैं जहां से बड़ी संख्या में बच्चे खोते हैं. स्थानीय लोग भी बताते हैं कि यहां से आये दिन बच्चे खो जाते हैं.

सैफुद्दीन ने बताया कि बच्चों के लापता होने पर प्रत्येक सप्ताह एक से दो बार उनके घर के पास बनी मस्जिद से बाकायदा इसके लिए ऐलान किया जाता है. इनमें से कुछ बच्चे मिल जाते हैं और जो बच्चे नहीं मिलते उन्हें लेकर थाने में शिकायत की जाती है.

एक साल से बच्चे की तलाश

इंद्र एंक्लेव में रहने वाली नसरीन का 10 साल का बेटा अक्टूबर 2019 में लापता हो गया था. दोपहर के समय वो घर से खेलने के लिए निकला लेकिन वापस नहीं लौटा. नसरीन बताती हैं कि उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जाकर अपने बच्चे को तलाशा. पुलिस वालों ने जहां संभावना जताई वहां जाकर उन्होंने अपने बच्चे को देखा लेकिन वह कहीं नहीं मिला.

उन्होंने बताया कि बच्चे को तलाशने में पुलिस ने किसी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसके चलते आखिरकार वह थक कर घर बैठ गई हैं. नये जांच अधिकारी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह उनके बच्चे को तलाशने में मदद करेगा, लेकिन उन्हें अब इसकी उम्मीद नहीं है.

तीन साल में नहीं ढूंढ सके बच्चा

अमन विहार में रहने वाली रवीना खातून ने बताया कि उनका बेटा 17 फरवरी 2017 को घर से खेलने के लिए निकला, लेकिन वापस नहीं लौटा. उन्होंने दिल्ली के सभी आश्रम, बाल सुधार गृह एवं बच्चों को रखने वाली तमाम जगह पर जाकर अपने बेटे को तलाशा, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला.

बच्चे के पिता जफरुद्दीन बताते हैं कि बच्चे को तलाशने में पुलिस की तरफ से उन्हें कोई खास मदद नहीं मिली. पुलिसकर्मी उन्हें केवल पता बता देते थे और वह ऐसी जगह पर जाकर अपने बच्चे को ढूंढते थे. लेकिन आज 3 साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद उनके बच्चे का कुछ पता नहीं चल सका है.

कमिश्नर ने उठाये कदम

मध्य जिला डीसीपी संजय भाटिया ने बताया कि लापता हुए बच्चों को तलाशने के पुलिस भरसक प्रयास करती है. प्रत्येक मामले में मौजूद सुराग की मदद से बच्चों की तलाश की जाती है. उन्होंने बताया कि खुद दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव लापता बच्चों को तलाशने को लेकर बेहद गंभीर हैं.

उन्होंने बच्चों को तलाशने वाले पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की घोषणा भी कर दी है. इसके अलावा प्रत्येक थाने में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाई गई है, जिसके ऊपर किसी अन्य कार्य का भार नहीं होता. उन्हें केवल बच्चे तलाशने की जिम्मेदारी दी जाती है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में बच्चों को तलाशने में काफी कामयाबी मिलेगी.

साल 2020 में क्राइम ब्रांच ने 1200 बच्चों की तलाश की.

वर्षलापता बच्चों की संख्यातलाश लिए गए बच्चों की संख्या
201954123336 (61%)
20203507 (31 अक्टूबर तक)2629 (31 अक्टूबर तक) (74%)

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में औसतन 12 से 15 बच्चे रोजाना गायब हो जाते हैं. इन बच्चों को तलाशने के लिए ना केवल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच बल्कि प्रत्येक थाने में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाई गई है, लेकिन इसके बावजूद लगभग 60 से 70 फीसदी बच्चों को ही पुलिस तलाश पाती है.

रोजाना लापता हो रहे औसतन 15 बच्चे

जानकारी के अनुसार दिल्ली में सबसे ज्यादा बच्चे बाहरी दिल्ली से खोते हैं. यहां का अमन विहार, प्रेम नगर, किराड़ी, अगर-नगर, रणहौला ऐसे क्षेत्र हैं जहां से बड़ी संख्या में बच्चे खोते हैं. स्थानीय लोग भी बताते हैं कि यहां से आये दिन बच्चे खो जाते हैं.

सैफुद्दीन ने बताया कि बच्चों के लापता होने पर प्रत्येक सप्ताह एक से दो बार उनके घर के पास बनी मस्जिद से बाकायदा इसके लिए ऐलान किया जाता है. इनमें से कुछ बच्चे मिल जाते हैं और जो बच्चे नहीं मिलते उन्हें लेकर थाने में शिकायत की जाती है.

एक साल से बच्चे की तलाश

इंद्र एंक्लेव में रहने वाली नसरीन का 10 साल का बेटा अक्टूबर 2019 में लापता हो गया था. दोपहर के समय वो घर से खेलने के लिए निकला लेकिन वापस नहीं लौटा. नसरीन बताती हैं कि उन्होंने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जाकर अपने बच्चे को तलाशा. पुलिस वालों ने जहां संभावना जताई वहां जाकर उन्होंने अपने बच्चे को देखा लेकिन वह कहीं नहीं मिला.

उन्होंने बताया कि बच्चे को तलाशने में पुलिस ने किसी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसके चलते आखिरकार वह थक कर घर बैठ गई हैं. नये जांच अधिकारी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह उनके बच्चे को तलाशने में मदद करेगा, लेकिन उन्हें अब इसकी उम्मीद नहीं है.

तीन साल में नहीं ढूंढ सके बच्चा

अमन विहार में रहने वाली रवीना खातून ने बताया कि उनका बेटा 17 फरवरी 2017 को घर से खेलने के लिए निकला, लेकिन वापस नहीं लौटा. उन्होंने दिल्ली के सभी आश्रम, बाल सुधार गृह एवं बच्चों को रखने वाली तमाम जगह पर जाकर अपने बेटे को तलाशा, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला.

बच्चे के पिता जफरुद्दीन बताते हैं कि बच्चे को तलाशने में पुलिस की तरफ से उन्हें कोई खास मदद नहीं मिली. पुलिसकर्मी उन्हें केवल पता बता देते थे और वह ऐसी जगह पर जाकर अपने बच्चे को ढूंढते थे. लेकिन आज 3 साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद उनके बच्चे का कुछ पता नहीं चल सका है.

कमिश्नर ने उठाये कदम

मध्य जिला डीसीपी संजय भाटिया ने बताया कि लापता हुए बच्चों को तलाशने के पुलिस भरसक प्रयास करती है. प्रत्येक मामले में मौजूद सुराग की मदद से बच्चों की तलाश की जाती है. उन्होंने बताया कि खुद दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव लापता बच्चों को तलाशने को लेकर बेहद गंभीर हैं.

उन्होंने बच्चों को तलाशने वाले पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की घोषणा भी कर दी है. इसके अलावा प्रत्येक थाने में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट बनाई गई है, जिसके ऊपर किसी अन्य कार्य का भार नहीं होता. उन्हें केवल बच्चे तलाशने की जिम्मेदारी दी जाती है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में बच्चों को तलाशने में काफी कामयाबी मिलेगी.

साल 2020 में क्राइम ब्रांच ने 1200 बच्चों की तलाश की.

वर्षलापता बच्चों की संख्यातलाश लिए गए बच्चों की संख्या
201954123336 (61%)
20203507 (31 अक्टूबर तक)2629 (31 अक्टूबर तक) (74%)
Last Updated : Dec 25, 2020, 10:42 PM IST
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