नई दिल्ली: उत्तरी पूर्वी दिल्ली दंगों को लेकर विवादित भाषण को लेकर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. कहा है कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ केस नहीं बनता है और दंगों में उनकी भूमिका के अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 21 जुलाई को करने का आदेश दिया.
दिल्ली पुलिस ने कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, वारिस पठान, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, और प्रवेश वर्मा के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर जांच की जा रही है और अगर जरूरत पड़ी तो कार्रवाई की जाएगी. दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने तत्काल बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई की. जिसकी वजह से कुछ ही दिनों में हिंसा का सिलसिला थम गया और वो ज्यादा इलाकों में नहीं फैला.
जनहित याचिका का दुरुपयोग
दिल्ली पुलिस ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जो याचिका दायर किया है वो जनहित याचिका का दुरुपयोग है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं हिंसा की चुनिंदा घटनाओं का जिक्र किया है जिससे साफ जाहिर है कि उनकी मंशा कुछ और है। दिल्ली पुलिस ने याचिका खारिज किए जाने की मांग की।
21 जुलाई को अगली सुनवाई
सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें दिल्ली पुलिस का हलफनामा नहीं मिला है जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो सभी याचिकाकर्ताओं को हलफनामा की प्रति उपलब्ध कराएं. सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली पुलिस के हलफनामे पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
12 मार्च को नेताओं को नोटिस जारी किया था
पिछले 12 मार्च को कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस समेत उन नेताओं को नोटिस जारी किया था. जिनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. अलग-अलग याचिकाओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, वारिस पठान, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, और प्रवेश वर्मा के खिलाफ दाखिल की गई थी. याचिकाओं में इन नेताओं के खिलाफ जल्द एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है. याचिकाओं में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई स्थगित कर गलत किया.
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सुनवाई पहले की गई
पिछले 27 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टालते हुए 13 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च को हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई जल्द कर फ़ैसला लें। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से 6 मार्च को सुनवाई करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शांति बहाली के लिए हाईकोर्ट ज़रूरी कदम उठाए। दोनों पक्ष हाईकोर्ट को उन लोगों के नाम सुझाएं जो मदद कर सके।