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दिल्ली पुलिस का खुलासा, डॉक्टर ने सरकारी अस्पतालों में रखा था अपना एजेंट

fake doctors arrested in Delhi, Fake Doctors Case: डॉ नीरज कुमार ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में अपना एजेंट रखा था. एजेंट सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को अग्रवाल मेडिकल सेंटर में इलाज के लिए भेजता था. इसके बदले वह उन एजेंटों को अच्छा कमीशन देते थे.

डॉ नीरज सरकारी अस्पतालों में रखे हुए थे अपने एजेंट
डॉ नीरज सरकारी अस्पतालों में रखे हुए थे अपने एजेंट
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 16, 2023, 10:32 PM IST

Updated : Nov 16, 2023, 10:47 PM IST

डॉ नीरज सरकारी अस्पतालों में रखे हुए थे अपने एजेंट

नई दिल्ली: दिल्ली के जीके स्थित अग्रवाल मेडिकल सेंटर के संचालक डॉ नीरज अग्रवाल ने राजधानी के कई सरकारी अस्पतालों में अपने एजेंट रखे थे. यह एजेंट सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को अग्रवाल मेडिकल सेंटर में इलाज के लिए भेजते थे. इसके बदले वह इन एजेंटों को मरीज के हिसाब से कमीशन देता था. इसके अलावा आरोपी डॉ आयुष्मान कार्ड से इलाज का लालच देकर यहां मरीजों को बुलाता था, जिसके चलते मेडिकल सेंटर में ज्यादा मरीज आते थे.

अस्पताल में कमीशन पर भेजे जाते थे मरीज: पुलिस की जांच में सामने आया कि अग्रवाल मेडिकल सेंटर के संचालक डॉ नीरज कुमार ने दिल्ली के करीब एक दर्जन से ज्यादा अस्पतालों में अपने एजेंट रखे हुए थे. उन एजेंटों को वह अच्छा कमीशन देते थे. अपनी पत्नी के उपचार के लिए डॉ. नीरज के पास आए राहुल कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी को पथरी की समस्या है. उनका आपॅरेशन होना था, जिसके लिए वह अस्पताल के चक्कर लगा रहे थे.

सफदरजंग अस्पताल की ओटी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने उसको अग्रवाल मेडिकल सेंटर भेजा. राहुल को बताया कि आयुष्मान कार्ड की मदद से उनकी पत्नी की फ्री सर्जरी की जाएगी. सफदरजंग अस्पताल के कर्मचारी ने उससे 5 हजार रुपए भी लिए. गुरुवार को वह जीके स्थित अस्पताल पहुंचा, जहां उसे पता चला कि पुलिस ने डॉ नीरज और उसकी टीम को गिरफ्तार कर लिया है. राहुल ने पुलिस को इस संबंध में शिकायत दी, जिस पर कार्रवाई की जा रही है.

नीरज ने दी थी महेंद्र को डिग्री: पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि महेंद्र एक बड़े अस्पताल में टेक्नीशियन का काम करता था, लेकिन वह अस्पताल घर से दूर था. ऐसे में उसके एक जानकार ने अग्रवाल मेडिकल सेंटर में काम के लिए उसे भेजा था, जहां उसकी डॉ नीरज से मुलाकात हुई. महेंद्र ने शुरू में टेक्नीशियन का काम ही किया, लेकिन बाद में वह लोगों की सर्जरी करने लगा. सूत्रों ने बताया कि महेंद्र को कोई पकड़ न सके इसलिए डॉ नीरज ने ही उसे फर्जी डिग्री उपलब्ध कराई. इसी डिग्री के आधार पर वह खुद को डॉक्टर बताता था.

मशीन से करते थे सर्जरी: पुलिस की जांच में समाने आया कि आरोपी मशीन के मदद से भी लोगों की सर्जरी करता था. महेंद्र को मशीन ऑपरेट करनी आती थी. लेकिन पुलिस को यह मशीन अग्रवाल मेडिकल सेंटर से बरामद नहीं हुई है. पुलिस की टीम ने चारों आरोपियों को पूछताछ और मशीन सहित अन्य सामान की बारामदगी के लिए रिमांड पर लिया है. पुलिस का कहना है कि अभी इस मामले में कई बड़े खुलासे होंगे.

डॉ नीरज सरकारी अस्पतालों में रखे हुए थे अपने एजेंट

नई दिल्ली: दिल्ली के जीके स्थित अग्रवाल मेडिकल सेंटर के संचालक डॉ नीरज अग्रवाल ने राजधानी के कई सरकारी अस्पतालों में अपने एजेंट रखे थे. यह एजेंट सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को अग्रवाल मेडिकल सेंटर में इलाज के लिए भेजते थे. इसके बदले वह इन एजेंटों को मरीज के हिसाब से कमीशन देता था. इसके अलावा आरोपी डॉ आयुष्मान कार्ड से इलाज का लालच देकर यहां मरीजों को बुलाता था, जिसके चलते मेडिकल सेंटर में ज्यादा मरीज आते थे.

अस्पताल में कमीशन पर भेजे जाते थे मरीज: पुलिस की जांच में सामने आया कि अग्रवाल मेडिकल सेंटर के संचालक डॉ नीरज कुमार ने दिल्ली के करीब एक दर्जन से ज्यादा अस्पतालों में अपने एजेंट रखे हुए थे. उन एजेंटों को वह अच्छा कमीशन देते थे. अपनी पत्नी के उपचार के लिए डॉ. नीरज के पास आए राहुल कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी को पथरी की समस्या है. उनका आपॅरेशन होना था, जिसके लिए वह अस्पताल के चक्कर लगा रहे थे.

सफदरजंग अस्पताल की ओटी में काम करने वाले एक कर्मचारी ने उसको अग्रवाल मेडिकल सेंटर भेजा. राहुल को बताया कि आयुष्मान कार्ड की मदद से उनकी पत्नी की फ्री सर्जरी की जाएगी. सफदरजंग अस्पताल के कर्मचारी ने उससे 5 हजार रुपए भी लिए. गुरुवार को वह जीके स्थित अस्पताल पहुंचा, जहां उसे पता चला कि पुलिस ने डॉ नीरज और उसकी टीम को गिरफ्तार कर लिया है. राहुल ने पुलिस को इस संबंध में शिकायत दी, जिस पर कार्रवाई की जा रही है.

नीरज ने दी थी महेंद्र को डिग्री: पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि महेंद्र एक बड़े अस्पताल में टेक्नीशियन का काम करता था, लेकिन वह अस्पताल घर से दूर था. ऐसे में उसके एक जानकार ने अग्रवाल मेडिकल सेंटर में काम के लिए उसे भेजा था, जहां उसकी डॉ नीरज से मुलाकात हुई. महेंद्र ने शुरू में टेक्नीशियन का काम ही किया, लेकिन बाद में वह लोगों की सर्जरी करने लगा. सूत्रों ने बताया कि महेंद्र को कोई पकड़ न सके इसलिए डॉ नीरज ने ही उसे फर्जी डिग्री उपलब्ध कराई. इसी डिग्री के आधार पर वह खुद को डॉक्टर बताता था.

मशीन से करते थे सर्जरी: पुलिस की जांच में समाने आया कि आरोपी मशीन के मदद से भी लोगों की सर्जरी करता था. महेंद्र को मशीन ऑपरेट करनी आती थी. लेकिन पुलिस को यह मशीन अग्रवाल मेडिकल सेंटर से बरामद नहीं हुई है. पुलिस की टीम ने चारों आरोपियों को पूछताछ और मशीन सहित अन्य सामान की बारामदगी के लिए रिमांड पर लिया है. पुलिस का कहना है कि अभी इस मामले में कई बड़े खुलासे होंगे.

Last Updated : Nov 16, 2023, 10:47 PM IST
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