नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में 2 करोड़ जनता के द्वारा चुनी हुई केजरीवाल सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के फैसले का हक मिलेगा, या फिर ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार एलजी विनय कुमार सक्सेना के पास ही रहेगा. इस बात की तस्वीर जल्द साफ हो जाएगी. दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में लाए गए अध्यादेश को कानून की शक्ल देने के लिए इस बिल को लोकसभा में सोमवार को पेश किया जाएगा.
लोकसभा में रविवार को सभी सांसदों को विधेयक की कॉपी दी गई है. माना जा रहा है कि इस बिल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पेश करेंगे. हालांकि, इस दौरान केजरीवाल को विपक्षी नेताओं का समर्थन प्राप्त है. उम्मीद है कि इस दौरान सदन में जोरदार हंगामा होगा. यह भी हो सकता है कि सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ें. बता दें, 20 जुलाई से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हुई. तब से लेकर अभी तक सत्र पूरी तरह से हंगामे के भेट चढ़ा हुआ है.
अध्यादेश पर केजरीवाल के साथ विपक्ष: दिल्ली में गत कुछ महीनों के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की शक्तियों के बंटवारे को लेकर खूब चर्चा हो रही है. अध्यादेश पर ही विपक्षी दलों का समर्थन लेने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तमाम विपक्षी दलों से मुलाकात कर उनसे राज्यसभा में इस बिल के विरोध में वोट करने की अपील की है. प्रमुख विपक्षी दलों में कांग्रेस ने भी अंत में आम आदमी पार्टी द्वारा मांगे गए सहयोग का समर्थन कर दिया है. ऐसे में यह अध्यादेश जब संसद में पेश होता है तब इसके हश्र पर सबकी निगाहें टिकी हुई है.
क्या है केंद्र द्वारा लाया गया अध्यादेश: सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को दिल्ली सरकार में सर्विसेज से जुड़े मामलों को पूर्ण अधिकार चुनी हुई सरकार को देने का आदेश दिया था. कोर्ट के उक्त आदेश को 8 दिन बाद 19 मई को इसे अध्यादेश के जरिए उसे पलट दिया था. केंद्र के अध्यादेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधित ऑर्डिनेंस) 2023 के जरिए केंद्र ने एक नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी का गठन किया है. दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और सेवा से जुड़े फैसले अब ऑथोरिटी के जरिए होंगे. इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रमुख बनाने की बात कही गई है. लेकिन फैसला बहुमत से होगा.
नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव गृह विभाग के सदस्य होंगे. किसी भी विवाद की स्थिति में उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा. केंद्र के अधीन आने वाले विषयों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में यह अथॉरिटी ग्रुप ए और दिल्ली में सेवा दे रहे दानिक्स अधिकारियों के तबादले नियुक्ति की सिफारिश करेंगी. जिस पर अंतिम मुहर उपराज्यपाल की लगाएंगे.
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