ETV Bharat / state

'फांसी की सजा भारत में खत्म हो, एक साल में दुष्कर्म की घटनाओं में नहीं आई कमी'

निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि दोषियों की फांसी का एक साल पूरा हो गया है, लेकिन इससे दुष्कर्म की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है. उन्होंने भारत में फांसी पर रोक लगाने की मांग की है ताकि जेल सुधार गृह बनें फांसीघर नहीं.

nirbhaya case accused advocate demands to finish hanging punishment
देश में फांसी की सजा को लेकर एपी सिंह का बयान
author img

By

Published : Mar 20, 2021, 10:45 AM IST

Updated : Mar 20, 2021, 11:39 AM IST

नई दिल्ली: निर्भया कांड के चार दोषियों को हुई फांसी की सजा को आज एक साल पूरे हो गए हैं. दोषियों के अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि इस एक साल में दुष्कर्म या हत्या की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई. केवल संदेश देने के लिए चारों को फांसी दी गई जिसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने भारत में फांसी पर रोक लगाने की मांग की है ताकि जेल सुधार गृह बनें फांसीघर नहीं.

देश में फांसी की सजा को लेकर एपी सिंह का बयान

इन फांसियों से कितना सुधार हुआ: एपी सिंह

अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि कानूनविदों, न्यायपालिका, प्रशासन और सिस्टम से यह जानना चाहिए कि इस फांसी से क्या मिला. चार युवा जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था. उनके परिवार में कोई अपराधी नहीं है. मेहनत मजदूरी करके उनका परिवार चलता था. अक्षय का छोटा बच्चा था. विनय के सिर पर उसकी बहनों की शादी की जिम्मेदारी थी. पवन के माता-पिता बुजुर्ग हैं. मुकेश के पिता का देहांत हो गया था. उसकी विधवा मां का वह सहारा था. जिन चारों युवाओं को फांसी दी गई, वह खुद बेसहारा थे. ऐसे में इस फांसी से किसी को क्या मिला.

ये भी पढ़ें- निर्भया के हत्यारों की फांसी को हुआ एक साल, जेल कोठरी आज तक बंद



दुष्कर्म की घटनाओं में क्या आई कमी: एपी सिंह
अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि केवल समाज को संदेश देने के मकसद से चारों दोषियों को फांसी दी गई. लेकिन क्या इस एक साल में दुष्कर्म या हत्या की वारदातें रुक गई हैं. क्या आज महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाएं नहीं हो रही हैं. जेल को सुधार गृह बनाना पड़ेगा. उसे फांसीघर बनाना ठीक नहीं है. 100 से अधिक देश में फांसी की सजा खत्म हो चुकी हैं. इसलिए फांसी की सजा भारत में भी खत्म होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- राशन की डोर स्टेप डिलीवरी मामला, सीएम केजरीवाल ने बुलाई समीक्षा बैठक


'दोषी को सुधरने का अवसर मिलना चाहिए'
अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि बड़े न्यायविदों एवं पूर्व जजों ने भी फांसी को सही नहीं माना है. उनका कहना है कि इससे सुधार का मौका नहीं मिलता. बीते एक साल में किसी प्रकार का सुधार अपराध में नहीं आया है. एनसीआरबी के डाटा से पता चलता है कि अपराध बढ़ रहे हैं. पुरुषों की कोई सुनता नहीं है. इसलिए पुरुष आयोग बनाने की मांग कई संगठन करते हैं. महिलाओं के लिए महिला डेस्क, महिला थाना, महिला आयोग, महिला मंत्रालय, महिला कोर्ट सभी मौजूद हैं. लेकिन पुरुषों की कहीं सुनवाई नहीं होती.

नई दिल्ली: निर्भया कांड के चार दोषियों को हुई फांसी की सजा को आज एक साल पूरे हो गए हैं. दोषियों के अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि इस एक साल में दुष्कर्म या हत्या की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई. केवल संदेश देने के लिए चारों को फांसी दी गई जिसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने भारत में फांसी पर रोक लगाने की मांग की है ताकि जेल सुधार गृह बनें फांसीघर नहीं.

देश में फांसी की सजा को लेकर एपी सिंह का बयान

इन फांसियों से कितना सुधार हुआ: एपी सिंह

अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि कानूनविदों, न्यायपालिका, प्रशासन और सिस्टम से यह जानना चाहिए कि इस फांसी से क्या मिला. चार युवा जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था. उनके परिवार में कोई अपराधी नहीं है. मेहनत मजदूरी करके उनका परिवार चलता था. अक्षय का छोटा बच्चा था. विनय के सिर पर उसकी बहनों की शादी की जिम्मेदारी थी. पवन के माता-पिता बुजुर्ग हैं. मुकेश के पिता का देहांत हो गया था. उसकी विधवा मां का वह सहारा था. जिन चारों युवाओं को फांसी दी गई, वह खुद बेसहारा थे. ऐसे में इस फांसी से किसी को क्या मिला.

ये भी पढ़ें- निर्भया के हत्यारों की फांसी को हुआ एक साल, जेल कोठरी आज तक बंद



दुष्कर्म की घटनाओं में क्या आई कमी: एपी सिंह
अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि केवल समाज को संदेश देने के मकसद से चारों दोषियों को फांसी दी गई. लेकिन क्या इस एक साल में दुष्कर्म या हत्या की वारदातें रुक गई हैं. क्या आज महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाएं नहीं हो रही हैं. जेल को सुधार गृह बनाना पड़ेगा. उसे फांसीघर बनाना ठीक नहीं है. 100 से अधिक देश में फांसी की सजा खत्म हो चुकी हैं. इसलिए फांसी की सजा भारत में भी खत्म होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- राशन की डोर स्टेप डिलीवरी मामला, सीएम केजरीवाल ने बुलाई समीक्षा बैठक


'दोषी को सुधरने का अवसर मिलना चाहिए'
अधिवक्ता एपी सिंह का कहना है कि बड़े न्यायविदों एवं पूर्व जजों ने भी फांसी को सही नहीं माना है. उनका कहना है कि इससे सुधार का मौका नहीं मिलता. बीते एक साल में किसी प्रकार का सुधार अपराध में नहीं आया है. एनसीआरबी के डाटा से पता चलता है कि अपराध बढ़ रहे हैं. पुरुषों की कोई सुनता नहीं है. इसलिए पुरुष आयोग बनाने की मांग कई संगठन करते हैं. महिलाओं के लिए महिला डेस्क, महिला थाना, महिला आयोग, महिला मंत्रालय, महिला कोर्ट सभी मौजूद हैं. लेकिन पुरुषों की कहीं सुनवाई नहीं होती.

Last Updated : Mar 20, 2021, 11:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.