नई दिल्ली: चीनी सामान बायकॉट के साथ मेड इन इंडिया की बात की जा रही है. हर कोई चीनी सामान का बहिष्कार कर अपने ही देश में बने सामान के इस्तेमाल की बात कर रहा है. लेकिन जमीन पर इसकी कितनी सच्चाई है और व्यापारी इसको लेकर क्या ताल्लुक रखता है. इस पर ईटीवी भारत ने राजधानी स्थित इलेक्ट्रॉनिक की होलसेल मार्केट लाला लाजपत राय के व्यापारी कुणाल खन्ना से बातचीत की.
कुणाल खन्ना ने बताया कि चीनी सामान का बहिष्कार हर कोई करना चाहता है. व्यापारी देश के साथ खड़ा है. हम भी चाहते हैं कि देश का पैसा देश में ही रहे, लेकिन अपने देश में व्यापार शुरू करने के लिए कई ऐसी नीतियां हैं.
जिनसे गुजरना काफी मुश्किलों भरा है. अगर एक व्यापारी अपने देश में फैक्ट्री शुरू करता है, तो उसे कई लाइसेंस प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. इसके साथ ही अलग-अलग हर एक चीज के टैक्स देने होते हैं.
कई कानूनी कार्रवाई और टैक्स देने के बाद अगर वो फैक्ट्री शुरू भी करता है. तो सामान चीन के मुकाबले यहां पर काफी महंगा है. ऐसे में एक व्यापारी कैसे व्यापार करें और मेड इन इंडिया को बढ़ावा दें.
मौजूदा हालात में व्यापारी की कमर टूटी
मौजूदा स्थिति को लेकर कुणाल खन्ना ने कहा कि अभी व्यापारी की कमर पहले ही टूटी हुई है, मार्केट में ना तो लेबर है ना ही मैन्युफैक्चरिंग यूनिट काम कर रहे हैं. और तो और सामान जो पहले सस्ते दामों पर मिलता था उससे भी दाम बढ़ चुके हैं. इसके अलावा जो खरीदार है वो भी बाजार में नहीं पहुंच पा रहा है, ऐसे में व्यापारी बेहद ही बुरे दौर से गुजर रहा है.
चीन पर निर्भर इलेक्ट्रॉनिक बाजार
लाला लाजपत राय मार्केट के व्यापारी ने कहा कि मौजूदा समय में देश का इलेक्ट्रॉनिक बाजार 90 फीसदी तक चीन पर निर्भर है. ऐसे में चीन को बायकॉट करना एक बेहद ही बड़ा फैसला है.
इसके लिए सरकार को एक कड़ी नीति अपनानी होगी. साथ ही देश के व्यापारी को खड़ा करने के लिए कई नीतियों में बदलाव करना होगा. उसी के बाद मेक इन इंडिया का सपना सच हो सकता है.