नई दिल्ली: 14 मई को फिल्म जगत के प्रसिद्ध निर्माता व निर्देशक मृणाल सेन की 100वीं जन्म तिथि है. वह एक ऐसे फिल्मकार थे, जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिलाई. 14 मई, 1923 को अविभाजित बंगाल के फरीदपुर कस्बे में जन्मे मृणाल सेन का बीते साल 30 दिसंबर 2018 को निधन हो गया था. उन्हें समाज की सच्चाई का कलात्मक चित्रण करने के लिए हमेशा जाना जाता है. उनके पुत्र कुणाल सेन ने अपनी लिखित एक पुस्तक 'बंधू' पर अपनी बात रखी.
अपने आपको लेखक न कहने वाले कुणाल सेन ने ETV भारत को बताया कि मैंने बस पब्लिशर्स से ये पूछा, क्या मैं अपने पिता के ऊपर किताब लिख सकता हूं? क्योंकि अगर मैं अपने परिवार से जुड़ी यादों को नहीं लिखूंगा, तो मुझे डर है कि उन्हें लोग भूल न जाएं. कुणाल अपने पिता को पिता जी नहीं बल्कि बंधू बोलते थे. बंगाली शब्द बंधू का अर्थ होता है दोस्त. कुणाल का कहना है कि उन्होंने हर किसी के मुँह से अपने पिता के लिए बंधू शब्द ही सुना था इसलिए वह भी बंधू बोलने लगे. पुस्तक के बारे में बताते हुए कुणाल ने बताया कि इसमें मेरे परिवार की कहानी है. मेरे पिता और मां दोनों ही फिल्मों में अभिनय करते थे. उन्होंने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि मेरे पिता शानदार इंसान थे, उनके बारे में और ज्यादा क्या बोलूं?
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राजधानी दिल्ली के लोधी रोड स्थित इंडियन हैबिटेट में पैन-इंडिया फिल्म फेस्टिवल - हैबिटेट फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. 5 मई से शुरू हुए इस फिल्म फेस्टिवल का मज़ा 14 मई 2023 तक उठाया जा सकता है. फेस्टिवल के 15वें संस्करण में 17 भारतीय भाषाओं में कुछ दिलचस्प लाइन अप और फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है. कार्यक्रम की आयोजनकर्ता विद्युन सिंह ने बताया कि यह हैबिटेट फिल्म फेस्टिवल का 15वां संस्करण है. इन दस दिनों में 17 भारतीय भाषाओं की 60 फीचर्स, डॉक्युमंट्रीज और शॉर्ट फिल्मों का मजा उठाया जा सकता है.
विद्युन ने बताया कि उन्होंने इस कार्यक्रम की शुरुआत 2006 में की थी जब इंडियन रीज़नल सिनेमा के लिए कोई एक्सपोजर नहीं था. विभिन्न भाषाओं में बहुत सी अच्छी फिल्में बनती थीं, लेकिन कॉमर्शियल सिनेमा उनको टाइम नहीं देते थे. इस कार्यक्रम के माध्यम से हमने छोटी फिल्मों को पैन-इंडिया फिल्म फेस्टिवल - हैबिटेट फिल्म फेस्टिवल के जरिए दर्शकों तक पहुंचना शुरू किया.
बता दें, फिल्म फेस्टिवल में ऐसी फिल्में दिखाई जा रही हैं, जिन्होंने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ी है. फेस्टिवल में मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बंगाली, असमिया, मैथिली, उड़िया, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, संस्कृत, लद्दाखी, मैथिलोन और पहली बार कुमाऊंनी भाषा में फिल्मों को दिखाया जा रहा है.
इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक सुनीत टंडन ने कहा कि आजकल भारतीय सिनेमा स्पष्ट रूप से आगे बढ़ रहा है. हैबिटेट फिल्म फेस्टिवल इसकी सबसे हालिया अभिव्यक्तियों का नमूना लेने और आकलन करने के लिए एक बेजोड़ मंच प्रदान करता है. साथ ही इस स्क्रीनिंग में पिछले कुछ महीनों में खोए हुए कुछ पसंदीदा निर्देशकों और अभिनेताओं की यादगार स्क्रीनिंग आयोजित की जा रही है. इसमें निर्देशक प्रदीप सरकार, अभिनेता सतीश कौशिक और हाल के थिएटर और फिल्म अभिनेताओं का काम देखने को मिलेगा. इस दौरान अभिनेता सतीश कौशिक को श्रद्धांजलि का कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. कार्यक्रम संबंधी पूरा विवरण इंडिया हैबिटेट सेंटर की वेब साइट पर देखा जा सकता है.
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