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दिल्ली औद्योगिक राज्य नहीं है, टैंकर कहां से मिल सकते हैं- हाईकोर्ट

जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की हाईकोर्ट के अवमानना की कार्रवाई का आदेश वापस लेने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दैरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली एक औद्योगिक राज्य नहीं है. साथ ही कोर्ट ने इस पर एमिकस क्यूरी को सुझाव देने के निर्देश भी दिए.

Delhi is not an industrial state says highcourt
दिल्ली गैर-औद्योगिक राज्य- हाईकोर्ट
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Published : May 2, 2021, 9:41 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की हाईकोर्ट के अवमानना की कार्रवाई का आदेश वापस लेने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि दिल्ली एक औद्योगिक राज्य नहीं है उसे टैंकर कहां से मिल सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस भी जारी किया है.

कोर्ट ने दी थी अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी
पिछले 1 मई को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे दिल्ली को उसके आवंटित ऑक्सीजन के कोटे का 490 मीट्रिक टन की सप्लाई सुनिश्चित करें, अन्यथा केंद्र के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी. कोर्ट ने ये आदेश तब दिया था जब उसे सूचना दी गई कि 1 मई को बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से कुछ मरीजों की मौत हो गई थी.


दिल्ली गैर-औद्योगिक राज्य
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि टैंकरों को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर नहीं डाली जा सकती है. तब दिल्ली सरकार की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली के संसाधनों का इस्तेमाल कर टैंकर क्यों नहीं उपलब्ध करा सकती है. मेहरा ने कहा कि दिल्ली एक गैर-औद्योगिक राज्य है. दिल्ली सरकार ने कुछ औद्योगिक घरानों से आग्रह कर कुछ टैंकर हासिल किए भी हैं. मेहरा ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार दिल्ली को ज्यादा मदद नहीं कर सकती है, क्या वो दिल्ली को आवंटित ऑक्सीजन से सौ मीट्रिक टन ज्यादा नहीं उपलब्ध करा सकती है.

ये भी पढ़ें: जाफरपुर कलां पुलिस ने बुजुर्गों को वितरित किया कोरोना किट, जागरूक रहने की दी सलाह


संवैधानिक मामला है
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राजशेखर राव ने कहा कि इस मामले का न्यायिक समाधान करने की जरूरत है. तब मेहता ने कहा कि इस मामले को तूल देने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो ये कोरोना के प्रबंधन पर गंभीर असर डालेगा. उन्होंने हाथ जोड़कर आग्रह किया कि ये संवैधानिक मसला है और इससे पूरे देश में कोरोना के प्रबंधन पर असर पड़ेगा.

एमिकस क्यूरी को सुझाव देने के निर्देश
मेहता ने कहा कि क्या कोर्ट ये चाहती है कि हर राज्य कहे कि ये मसला राज्य का विषय नहीं है. इस मामले पर देश के एक नागरिक के रुप में विचार करें. कोर्ट ने कहा कि अभी इस मसले को खुला छोड़ते हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर इस मसले का बिना कानूनी परीक्षण किए समाधान होता है तो ये ठीक रहेगा. कोर्ट ने एमिकस राजशेखर राव को इस संबंध में अपने सुझाव देने के निर्देश भी दिए है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार की हाईकोर्ट के अवमानना की कार्रवाई का आदेश वापस लेने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि दिल्ली एक औद्योगिक राज्य नहीं है उसे टैंकर कहां से मिल सकते हैं. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस भी जारी किया है.

कोर्ट ने दी थी अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी
पिछले 1 मई को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे दिल्ली को उसके आवंटित ऑक्सीजन के कोटे का 490 मीट्रिक टन की सप्लाई सुनिश्चित करें, अन्यथा केंद्र के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी. कोर्ट ने ये आदेश तब दिया था जब उसे सूचना दी गई कि 1 मई को बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से कुछ मरीजों की मौत हो गई थी.


दिल्ली गैर-औद्योगिक राज्य
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि टैंकरों को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर नहीं डाली जा सकती है. तब दिल्ली सरकार की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली के संसाधनों का इस्तेमाल कर टैंकर क्यों नहीं उपलब्ध करा सकती है. मेहरा ने कहा कि दिल्ली एक गैर-औद्योगिक राज्य है. दिल्ली सरकार ने कुछ औद्योगिक घरानों से आग्रह कर कुछ टैंकर हासिल किए भी हैं. मेहरा ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार दिल्ली को ज्यादा मदद नहीं कर सकती है, क्या वो दिल्ली को आवंटित ऑक्सीजन से सौ मीट्रिक टन ज्यादा नहीं उपलब्ध करा सकती है.

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संवैधानिक मामला है
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राजशेखर राव ने कहा कि इस मामले का न्यायिक समाधान करने की जरूरत है. तब मेहता ने कहा कि इस मामले को तूल देने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो ये कोरोना के प्रबंधन पर गंभीर असर डालेगा. उन्होंने हाथ जोड़कर आग्रह किया कि ये संवैधानिक मसला है और इससे पूरे देश में कोरोना के प्रबंधन पर असर पड़ेगा.

एमिकस क्यूरी को सुझाव देने के निर्देश
मेहता ने कहा कि क्या कोर्ट ये चाहती है कि हर राज्य कहे कि ये मसला राज्य का विषय नहीं है. इस मामले पर देश के एक नागरिक के रुप में विचार करें. कोर्ट ने कहा कि अभी इस मसले को खुला छोड़ते हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर इस मसले का बिना कानूनी परीक्षण किए समाधान होता है तो ये ठीक रहेगा. कोर्ट ने एमिकस राजशेखर राव को इस संबंध में अपने सुझाव देने के निर्देश भी दिए है.

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