नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने एक ऐसा सेंसर बेस्ड माउंट डिवाइस इजाद किया है, जो हवा में प्रदूषण के स्तर को मापने के साथ-साथ कई अन्य अहम जानकारियां जैसे वाहन की गति, ट्रैफिक सिग्नल, वाहन चालक की स्थिति आदि की भी जानकारी देगा.
यह डिवाइस इजाद करने वाले छात्रों का कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह डिवाइस 5 क्लस्टर बसों में लगाया जाएगा, जिससे जो डाटा इकट्ठा होगा उससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कौन से ऐसे क्षेत्र हैं. जहां सबसे अधिक प्रदूषण होता है और किस समय होता है. इस जानकारी के जरिए सरकार को प्रदूषण स्तर को कम करने में काफी सहायता मिल सकेगी.
वातावरण की देगी पूरी जानकारी
दिल्ली में आए दिन लोगों को प्रदूषण और ट्रैफिक की समस्याओं से दो चार होना पड़ता है. दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर और ट्रैफिक की समस्या भी अलग-अलग होती है. ऐसे में किस समय किस क्षेत्र में कितना प्रदूषण होगा और कहां ट्रैफिक ज्यादा होगा इसका पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसी मुश्किल को आसान करने के लिए आईआईटी के छात्रों ने एक ऐसा सेंसर बेस्ड माउंट डिवाइस बनाया है जो प्रदूषण के स्तर के साथ-साथ वातावरण को प्रभावित करने वाले अन्य कई तथ्यों का भी पता लगाएगा.
क्षेत्रों के वातावरण की पूरी जानकारी देगा
इस उपकरण को बनाने वाली आईआईटी टीम के एक सदस्य ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस उपकरण को 5 क्लस्टर बसों पर प्रयोग किया जाएगा और वह बस जिन-जिन क्षेत्रों से होकर निकलेंगी, उन सभी क्षेत्रों के वातावरण की पूरी जानकारी देगी.
ट्रैफिक की भी देगा जानकारी
यह माउंट डिवाइस क्लस्टर बस की जीपीएस लोकेशन बताएगा. साथ ही जहां बस जाएगी उसके आसपास प्रदूषण का स्तर कैसा है और किस तरह के धूल मिट्टी के कण उसमें है जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है उसकी भी जानकारी देगी. इसके अलावा वाहन चालक किस गति से गाड़ी चला रहा है, ट्रैफिक कब किस समय सबसे अधिक और कब सबसे कम होता है आदि जानकारी भी इकट्ठा करेगा.
एक सटीक डाटा उपलब्ध कराया जा सकेगा
इसे बनाने वाले छात्रों का कहना है कि हर एक बस रोजाना कई चक्कर लगाती है जिसमें हर एक चक्कर में 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय होती है. ऐसे में यह उपकरण व्यापक तौर पर वातावरण में फैले प्रदूषण कणों की जानकारी इकट्ठा कर सकेगा.
छात्रों का कहना है कि उपकरण से मिली जानकारी के आधार पर सरकार को एक सटीक डाटा उपलब्ध कराया जा सकेगा कि किस क्षेत्र में किस समय सबसे अधिक प्रदूषण होता है और प्रदूषण में सबसे अधिक कौन-कौन से हैं. जो लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे ना केवल उसे नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी बल्कि बड़े स्तर पर लोगों को इस समस्या से निजात भी मिल सकेगी.