नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के सभी कर्मियों के मामले में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू होगी. कोर्ट ने केंद्र सरकार को आठ सप्ताह के भीतर इसके लिए आवश्यक आदेश जारी करने का आदेश दिया है. अदालत ने माना कि सीएपीएफ के कर्मी (जिसमें सीआरपीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ और अन्य बल शामिल हैं) ओपिएस यानी पुरानी पेंशन योजना के लाभ के पात्र हैं, जैसा कि सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों को दिया गया है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक बड़े फैसले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में अर्धसैनिक बलों को 'भारत संघ के सशस्त्र बल' करार देते हुए पुरानी पेंशन योजना लागू करने का आदेश दिया. यह फैसला श्रीनिवास शर्मा की रिट याचिका के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग की थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि सीएपीएफ भी भारत के सशस्त्र बलों में शामिल है और नई पेंशन योजना (एनपीएस) उनपर लागू नहीं होती है. आदेश के अनुसार कोई व्यक्ति चाहे आज सीएपीएफ में भर्ती हुआ हो, पूर्व में रहा हो या भविष्य में होगा, वह पुरानी पेंशन योजना के लिए पात्र होगा.
बता दें कि साल 2004 के बाद सेना में शामिल होने वाले कर्मियों के लिए अर्धसैनिक बलों की पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर दिया गया था क्योंकि केंद्र अर्धसैनिक बलों के कर्मियों की स्थिति पर अस्पष्ट था. हालांकि, पुरानी पेंशन योजना को रक्षा बलों के लिए बरकरार रखा गया था, जो कि रक्षा मंत्रालय की कमान के तहत संघ के सशस्त्र बल भी हैं.
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अर्धसैनिक बलों के लिए नई पेंशन योजना को रद्दी बताते हुए, अदालत ने इन बलों को 'भारत संघ के सशस्त्र बलों' के रूप में मान्यता दी. अर्धसैनिक बलों को संघ के सशस्त्र बलों के रूप में मान्यता देने की दुविधा के कारण सीएपीएफ के लिए नई पेंशन योजना को अपनाया गया. इससे पहले 1 जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में भर्ती हुए सभी कर्मियों को सीएपीएफ सहित पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर करते हुए तर्क दिया था कि सेना, नौसेना और वायु सेना ही केंद्र सरकार की एकमात्र सशस्त्र सेना है. बीएसएफ अधिनियम, 1968 में कहा गया है कि बल का गठन भारत संघ के एक सशस्त्र बल के रूप में किया गया था. इसी तरह, बाकी सीएपीएफ को भी भारत संघ के सशस्त्र बलों के रूप में गठित किया गया है.
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