नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के दौरान निजी स्कूलों के ट्यूशन फीस को माफ करने के लिए दिल्ली सरकार को दिशा निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद ये आदेश दिया.
याचिका नरेश कुमार ने दायर किया था. याचिकाकर्ता की ओर से वकील एन प्रदीप शर्मा और हर्ष के शर्मा ने याचिका में कहा था कि अप्रत्याशित घटना के प्रावधान की वर्तमान संकट के समय व्याख्या की जाए. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया जाए कि वो निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस माफ करने के लिए दिशा निर्देश जारी करे.
'एडमिशन फॉर्म में विपरीत परिस्थितियों का उल्लेख नहीं'
याचिका में कहा गया था कि कोरोना का असर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. निजी स्कूलों का प्रबंधन स्कूल फीस के लिए दबाव बना रहे हैं. निजी स्कूलों के एडमिशन फॉर्म में विपरीत परिस्थितियों का कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के लिए ट्यूशन फीस वसूलेंगे. जब स्कूल के प्रोस्पेक्टस में अप्रत्याशित घटना का जिक्र नहीं है, तो वे वास्तविक शिक्षा दिए बिना ट्यूशन फीस कैसे मांग सकते हैं. यह कानून का उल्लंघन है.
'स्कूल चलाने वाले कोई समाजसेवा नहीं कर रहे हैं'
याचिका में कहा गया था कि ऑनलाइन क्लासेज का छात्रों के ऊपर काफी बुरा असर हो रहा है. छात्रों को प्रशिक्षित शिक्षकों की निगरानी में होमवर्क देना और क्लास टेस्ट जरूरी होता है. याचिका में कहा गया था कि अधिकांश निजी स्कूल किसी सोसायटी या ट्रस्ट द्वारा संचालित होते हैं, वे कोई समाज सेवा नहीं कर रहे होते हैं. याचिका में कहा गया था कि स्कूल एक सेवा प्रदाता है, इसलिए वो उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत भी आते हैं.