नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आगामी आम चुनावों (लोकसभा) से पहले ईवीएम और वीवीपैट की प्रथम स्तर की जांच के संबंध में राज्य चुनाव आयोग के आचरण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता अनिल कुमार ने कहा कि फर्स्ट लेवल चेकिंग (एफएलसी) करने के लिए पर्याप्त नोटिस नहीं दिए गए और राजनीतिक दल इस प्रक्रिया के लिए खुद को तैयार नहीं कर सके.
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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि याचिका राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ निर्देशित की गई है. जबकि, उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है. अधिकारी भारत के चुनाव आयोग के लिए काम कर रहे थे. याचिकाकर्ता को वर्तमान याचिका वापस लेने और एक नई याचिका दायर करने के लिए कहा गया है. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि याचिका को स्वतंत्रता के साथ वापस लिया गया मानकर खारिज किया जाता है.
याचिका में राज्य चुनाव आयोग को पर्याप्त नोटिस देने के बाद एफएलसी को फिर से कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले महीने एफएलसी शुरू करने के लिए अपनाई गई पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी और भारत के चुनाव आयोग के निर्देशों के विपरीत थी. राज्य चुनाव आयोग ने पर्याप्त समय दिए बिना 30 अगस्त, 2017 और 13 सितंबर 2022 के निर्देशों के विपरीत पूरी एफएलसी प्रक्रिया को तीन महीने के लिए स्थगित कर दिया और हितधारक राजनीतिक दलों को एफएलसी की पूरी प्रक्रिया में मूक दर्शक बना दिया.
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