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डीयूः शिक्षकों को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के आदेश पर रोक हटाने से इनकार

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Published : Nov 9, 2020, 7:37 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के आदेश पर लगी रोक हटाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. सरकार ने स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के दिल्ली सरकार के आदेश पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी.

delhi high court refuses delhi government demand on students society fund
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे शिक्षकों और स्टाफ को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन दें. हाईकोर्ट ने वेतन देने के दिल्ली सरकार के आदेश पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया है. जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने सभी 12 कॉलेजों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

शिक्षकों को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के आदेश पर रोक हटाने से इनकार

कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के दिल्ली सरकार के आदेश पर लगी रोक को हटाने की मांग की. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि दिल्ली इन कॉलेजों के पास काफी पैसा पड़ा हुआ है, लेकिन कोर्ट के आदेश की वजह से सरकार को इन कॉलेजों को फंड रिलीज करना पड़ा. तब कोर्ट ने कहा कि इन कॉलेजों का पक्ष सुने बिना हम रोक के आदेश को नहीं बदल सकते हैं.

'शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशान होने नहीं दिया जा सकता'

पिछले 5 नवंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इन 12 कॉलेजों को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के खेल के चलते शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशान होने नहीं दिया जा सकता है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वे संबंधित कॉलेजों को भी पक्षकार बनाएं. कोर्ट ने कहा था कि संबंधित कॉलेजों का पक्ष सुनने के बाद ही कोई आदेश पारित किया जाएगा. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी सभी कॉलेजों की अभिभावक है. दिल्ली यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी है कि वो स्थिति को नियंत्रण में रखें और समस्या को सुलझाएं.

दिल्ली सरकार के आदेश को चुनौती

याचिका दिल्ली यूनिवर्सिटीस्टूडेंट्स युनियन ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि स्टूडेंट्स सोसायटी फंड का इस्तेमाल शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए नहीं किया जा सकता है. पिछले 16 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे शिक्षकों और स्टाफ को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन दें. दिल्ली सरकार इन 12 कॉलेजों का सौफीसदी वित्तपोषण करती है.

कौन कौन हैं कॉलेज..?

दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों में इंदिरा गांदी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स सायंस, शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज, शहीद राजगुरु कॉलेज,दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, महर्षि वाल्मिकी कॉलेज ऑफ एजुकेशन और भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लायड साइंस शामिल हैं.

नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे शिक्षकों और स्टाफ को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन दें. हाईकोर्ट ने वेतन देने के दिल्ली सरकार के आदेश पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया है. जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने सभी 12 कॉलेजों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

शिक्षकों को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के आदेश पर रोक हटाने से इनकार

कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के दिल्ली सरकार के आदेश पर लगी रोक को हटाने की मांग की. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि दिल्ली इन कॉलेजों के पास काफी पैसा पड़ा हुआ है, लेकिन कोर्ट के आदेश की वजह से सरकार को इन कॉलेजों को फंड रिलीज करना पड़ा. तब कोर्ट ने कहा कि इन कॉलेजों का पक्ष सुने बिना हम रोक के आदेश को नहीं बदल सकते हैं.

'शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशान होने नहीं दिया जा सकता'

पिछले 5 नवंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इन 12 कॉलेजों को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के खेल के चलते शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशान होने नहीं दिया जा सकता है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वे संबंधित कॉलेजों को भी पक्षकार बनाएं. कोर्ट ने कहा था कि संबंधित कॉलेजों का पक्ष सुनने के बाद ही कोई आदेश पारित किया जाएगा. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी सभी कॉलेजों की अभिभावक है. दिल्ली यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी है कि वो स्थिति को नियंत्रण में रखें और समस्या को सुलझाएं.

दिल्ली सरकार के आदेश को चुनौती

याचिका दिल्ली यूनिवर्सिटीस्टूडेंट्स युनियन ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि स्टूडेंट्स सोसायटी फंड का इस्तेमाल शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए नहीं किया जा सकता है. पिछले 16 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे शिक्षकों और स्टाफ को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन दें. दिल्ली सरकार इन 12 कॉलेजों का सौफीसदी वित्तपोषण करती है.

कौन कौन हैं कॉलेज..?

दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों में इंदिरा गांदी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स सायंस, शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज, शहीद राजगुरु कॉलेज,दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, महर्षि वाल्मिकी कॉलेज ऑफ एजुकेशन और भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लायड साइंस शामिल हैं.

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