नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए एनिमल वेलफेयर बोर्ड को निर्देश दिया कि वो देश भर के सर्कसों का सर्वेक्षण करें. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कोरोना के संकट के दौरान जो सर्कस नहीं चल रहे हैं क्या वे जानवरों को बचाये रख सकते हैं. कोर्ट ने 14 अगस्त तक सर्वेक्षण की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्दश दिया.
याचिका फेडरेशन ऑफ एनिमल प्रोटेक्शन आर्गनाइजेशन ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि सर्कसों में जानवरों के साथ किया जाने वाला अत्याचार प्रिवेंशन आफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स और परफॉर्मिंग एनिमल्स रूल्स का उल्लंघन है. याचिका में जानवरों को छुड़ाने और उनके पुनर्वास के लिए दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है.
जानवरों को भय के माहौल में रखा जाता है
याचिका में कहा गया है कि सर्कसों में जानवरों को बर्बर और विषम परिस्थितियों में रखा जा रहा है. उन्हें हर रोज कई घंटों तक जंजीरों में बांध कर रखा जाता है. इन जानवरों का मनोरंजन के लिए प्रदर्शन करने के दौरान उन्हें भय के माहौल में रखा जाता है. उन्हें आराम भी नहीं करने दिया जाता है. कोरोना के संकट के दौरान इन जानवरों की स्थिति और बुरी हो गई है. सर्कसों में जानवरों को बिना जरूरी फिटनेस प्रमाण पत्र के रखा जाता है.
डेढ़ सौ जानवरों को छुड़ा चुके हैं
फेडरेशन ऑफ एनिमल प्रोटेक्शन आर्गनाइजेशन के सदस्यों ने एंड सर्कस सफरिंग अभियान के तहत 2015 से अब तक करीब डेढ़ सौ जानवरों को सर्कसों से छुड़ाया है. आर्गनाइजेशन ने 18 राज्यों के 45 संगठनों के 114 कार्यकर्ताओं को अपने संगठन से जोड़ा है.