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दिल्ली हाईकोर्ट ने बीएफआई प्रशासक को कार्यालय में न घुसने देने पर पूर्व पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया

बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के पूर्व पदाधिकारियों को कथित रूप से कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी कृष्णा भट को बीएफआई के कार्यालय में प्रवेश से रोकने के लिए नोटिस दिया गया है. बता दें इस साल दो मई को दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की एकल-न्यायाधीश पीठ ने न्यायमूर्ति भट को बीएफआई का प्रशासक नियुक्त किया था.

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Published : May 25, 2023, 8:51 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के पूर्व पदाधिकारियों को कथित रूप से कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी कृष्णा भट को बीएफआई के कार्यालय में प्रवेश करने से रोकने के लिए नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने साथ ही फैसला सुनाया कि हाईकोर्ट द्वारा दो मई को पारित आदेश का अनुपालन किया जाना चाहिए. बता दें कि इस साल दो मई को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की एकल-न्यायाधीश पीठ ने न्यायमूर्ति भट को बीएफआई का प्रशासक नियुक्त किया था और उन्हें महासंघ के शासी निकाय के लिए नए सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया था.

अधिवक्ता अमन हिंगोरानी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद न्यायमूर्ति भट ने पदाधिकारियों को चेक बुक और बैंक पासबुक सहित सभी कार्यालय दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया. उन्होंने आगे बीएफआई कार्यालय को निर्देश दिया कि उनकी मंजूरी के बिना कोई भी चेक जारी न करें या कोई निर्णय न लें. याचिका में आगे कहा गया है कि बैंकों को इस फैसले के बारे में सूचित किया गया था और निर्देश दिया गया था कि वे पिछले तीन वर्षों के लेखापरीक्षित, विस्तृत खातों को सुरक्षित रखें और उन्हें न्यायमूर्ति भट के समक्ष रखें. हालांकि, जब न्यायमूर्ति भट ने बीएफआई कार्यालय में प्रवेश करने की कोशिश की तो उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इसलिए प्रतिवादियों ने भारी सुरक्षा और बाउंसरों को तैनात किया था, जो किसी को भी कार्यालय में आने नहीं देते थे. इसमें कहा गया है कि प्रतिवादियों ने अब तक याचिकाकर्ता को कार्यालय के रिकॉर्ड (बीएफआई के घटक सदस्यों की चुनाव अयोग्यता से संबंधित रिकॉर्ड सहित), खाता बही, सभी चेक बुक और बीएफआई के अन्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं. दलील में आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता की बीएफआई रिकॉर्ड या सभी बैंक खातों तक पहुंच नहीं थी, जो प्रशासक के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से आवश्यक है. यह स्थिति दो मई के फैसले के संदर्भ में चुनाव कराने में बाधा के रूप में भी काम करेगा.

ये भी पढे़ंः वर्चुअल निकाह के 5 माह बाद पाकिस्तानी दुल्हन पहुंची अपनी ससुराल जोधपुर, वीजा के कारण विदाई में हुई देरी

याचिका में कहा गया है कि चूंकि महासंघ खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र जारी करने में सक्षम नहीं है, इससे उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही साथ बीएफआई के कामकाज पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. अदालत ने प्रतिवादियों को अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक के साथ सहयोग करने का आदेश दिया और अवमानना याचिका पर उन्हें नोटिस भी जारी किया.

ये भी पढ़ेंः तीन देशों की यात्रा के बाद स्वदेश लौटे पीएम मोदी, बोले- कहीं भी जाता हूं गर्व महसूस होता है

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के पूर्व पदाधिकारियों को कथित रूप से कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी कृष्णा भट को बीएफआई के कार्यालय में प्रवेश करने से रोकने के लिए नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने साथ ही फैसला सुनाया कि हाईकोर्ट द्वारा दो मई को पारित आदेश का अनुपालन किया जाना चाहिए. बता दें कि इस साल दो मई को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की एकल-न्यायाधीश पीठ ने न्यायमूर्ति भट को बीएफआई का प्रशासक नियुक्त किया था और उन्हें महासंघ के शासी निकाय के लिए नए सिरे से चुनाव कराने का आदेश दिया था.

अधिवक्ता अमन हिंगोरानी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद न्यायमूर्ति भट ने पदाधिकारियों को चेक बुक और बैंक पासबुक सहित सभी कार्यालय दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया. उन्होंने आगे बीएफआई कार्यालय को निर्देश दिया कि उनकी मंजूरी के बिना कोई भी चेक जारी न करें या कोई निर्णय न लें. याचिका में आगे कहा गया है कि बैंकों को इस फैसले के बारे में सूचित किया गया था और निर्देश दिया गया था कि वे पिछले तीन वर्षों के लेखापरीक्षित, विस्तृत खातों को सुरक्षित रखें और उन्हें न्यायमूर्ति भट के समक्ष रखें. हालांकि, जब न्यायमूर्ति भट ने बीएफआई कार्यालय में प्रवेश करने की कोशिश की तो उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इसलिए प्रतिवादियों ने भारी सुरक्षा और बाउंसरों को तैनात किया था, जो किसी को भी कार्यालय में आने नहीं देते थे. इसमें कहा गया है कि प्रतिवादियों ने अब तक याचिकाकर्ता को कार्यालय के रिकॉर्ड (बीएफआई के घटक सदस्यों की चुनाव अयोग्यता से संबंधित रिकॉर्ड सहित), खाता बही, सभी चेक बुक और बीएफआई के अन्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं. दलील में आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता की बीएफआई रिकॉर्ड या सभी बैंक खातों तक पहुंच नहीं थी, जो प्रशासक के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से आवश्यक है. यह स्थिति दो मई के फैसले के संदर्भ में चुनाव कराने में बाधा के रूप में भी काम करेगा.

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याचिका में कहा गया है कि चूंकि महासंघ खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र जारी करने में सक्षम नहीं है, इससे उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही साथ बीएफआई के कामकाज पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. अदालत ने प्रतिवादियों को अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासक के साथ सहयोग करने का आदेश दिया और अवमानना याचिका पर उन्हें नोटिस भी जारी किया.

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