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तीन सिस्टम के जरिए लोगों पर नजर रखने के खिलाफ याचिका पर केंद्र को नोटिस

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Published : Dec 2, 2020, 6:35 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएमएस, नैटग्रिड और नेत्रा के जरिए डाटा जुटाने पर रोक की मांग करनेवाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है.

delhi high court issued notice to central government
केंद्र को नोटिस

नई दिल्लीः तीन सिस्टम के जरिए लोगों पर नजर रखने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएमएस), नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) और नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (नेत्रा) के जरिए डाटा जुटाने पर रोक की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया गया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने संचार मंत्रालय, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और आईटी मंत्रालय को 7 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

'डाटा कलेक्शन सिस्टम के जरिए लोगों की निजता का उल्लंघन'

याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि तीनों डाटा कलेक्शन सिस्टम लोगों की निजता का उल्लंघन कर रही है. याचिका में मांग की गई है कि सीएमएस, नेत्रा और नैटग्रिड चौबीसो घंटे लोगों के बारे में डाटा जुटाती रहती है. इस पर रोक लगाया जाना चाहिए.

'आम लोगों पर नजर रखने का काम करते हैं ये सिस्टम्स'

याचिका में कहा गया है कि कानून के मुताबिक मॉनिटरिंग करने के लिए न्यायिक या संसदीय निकाय गठित करने की जरूरत है. ये निकाय टेलीग्राफ एक्ट और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत मॉनिटरिंग या वारंट के आदेशों की समीक्षा करेगा. याचिका में कहा गया है कि इन तीनों सिस्टम के जरिए संविधान की धारा 21 के अलावा खंड तीन में दी गई स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है.

इन सिस्टम के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों को बड़े पैमाने पर फोन या इंटरनेट कम्युनिकेशन पर नजर रखने की छूट मिल जाती है. ऐसा करना लोगों के अधिकारों और निजता का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि इन सिस्टम के जरिए लोगों पर नजर रखना सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले का उल्लंघन है.

नई दिल्लीः तीन सिस्टम के जरिए लोगों पर नजर रखने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएमएस), नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) और नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (नेत्रा) के जरिए डाटा जुटाने पर रोक की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया गया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने संचार मंत्रालय, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और आईटी मंत्रालय को 7 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

'डाटा कलेक्शन सिस्टम के जरिए लोगों की निजता का उल्लंघन'

याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि तीनों डाटा कलेक्शन सिस्टम लोगों की निजता का उल्लंघन कर रही है. याचिका में मांग की गई है कि सीएमएस, नेत्रा और नैटग्रिड चौबीसो घंटे लोगों के बारे में डाटा जुटाती रहती है. इस पर रोक लगाया जाना चाहिए.

'आम लोगों पर नजर रखने का काम करते हैं ये सिस्टम्स'

याचिका में कहा गया है कि कानून के मुताबिक मॉनिटरिंग करने के लिए न्यायिक या संसदीय निकाय गठित करने की जरूरत है. ये निकाय टेलीग्राफ एक्ट और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत मॉनिटरिंग या वारंट के आदेशों की समीक्षा करेगा. याचिका में कहा गया है कि इन तीनों सिस्टम के जरिए संविधान की धारा 21 के अलावा खंड तीन में दी गई स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है.

इन सिस्टम के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों को बड़े पैमाने पर फोन या इंटरनेट कम्युनिकेशन पर नजर रखने की छूट मिल जाती है. ऐसा करना लोगों के अधिकारों और निजता का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि इन सिस्टम के जरिए लोगों पर नजर रखना सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले का उल्लंघन है.

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