नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शिवसेना पार्टी के नाम और तीर-धनुष के चुनाव चिह्न को फ्रीज करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी गई थी. (petition of Uddhav Thackera is rejected by Delhi HC) न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को प्रतीक और पार्टी के नाम के आवंटन से संबंधित कार्यवाही को यथासंभव शीघ्रता से तय करने का निर्देश दिया.
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों गुटों ने पार्टी के नाम और शिवसेना के चुनाव चिह्न पर दावा किया था. हालांकि, ईसीआई ने 8 अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें दोनों खेमे को 'शिवसेना' पार्टी के नाम और प्रतीक का उपयोग करने से रोक दिया गया, जब तक कि यह तय नहीं हो जाता कि दो प्रतिद्वंद्वी गुटों में से कौन उनका उपयोग करने का हकदार है.
यह आदेश मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने पारित किया. आदेश में कहा गया है कि एकनाथराव संभाजी शिंदे (याचिकाकर्ता) और अन्य उद्धव ठाकरे (प्रतिवादी) के नेतृत्व वाले दो समूहों में से किसी को भी पार्टी "शिवसेना" के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं है. दोनों समूहों में से किसी को भी "शिवसेना" के लिए आरक्षित प्रतीक "धनुष और तीर" का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
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आदेश में कहा गया है कि दोनों समूह अपनी मूल पार्टी 'शिवसेना' से जुड़े नामों सहित अंतरिम रूप से अपनी इच्छा के अनुसार नाम चुन सकते हैं. दोनों समूहों को ऐसे अलग-अलग प्रतीक भी आवंटित किए जाएंगे, जैसा कि वे वर्तमान उपचुनावों के प्रयोजनों के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित मुक्त प्रतीकों की सूची में से चुन सकते हैं. यह आदेश शिंदे धड़े की एक याचिका पर पारित किया गया था, जिसमें यह निर्णय लेने की मांग की गई थी कि असली शिवसेना शिंदे खेमा है या ठाकरे खेमा.
शिंदे और शिवसेना के अधिकांश विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके कारण महाराष्ट्र में सरकार गिर गई थी. उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और देवदत्त कामत ने बहस की. याचिका अधिवक्ता विवेक सिंह, देवयानी गुप्ता और तन्वी आनंद के माध्यम से दायर की गई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर, मनिंदर सिंह और नीरज किशन कौल एकनाथ शिंदे गुट के लिए पेश हुए.
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