ETV Bharat / state

सैलरी पाना एक कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है: दिल्ली हाईकोर्ट

author img

By

Published : Jan 15, 2021, 8:50 PM IST

दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी बकाया वेतन और एरियर की मांग को लेकर कई दिनों से हड़ताल कर रहे हैं. ऐसे में इस मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को दर्द महसूस होगा तो सारे काम होने लगेंगे. कोर्ट ने अधिकारियों के वेतन के भुगतान में होने वाला खर्च के बारे में बताने का निर्देश दिया.

delhi HC on salary matter
MCD सैलरी मामला

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगमों के कर्मचारियों और हेल्थ वर्कर्स को सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को दर्द महसूस होगा तो सारे काम होने लगेंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि सैलरी पाना एक कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है, जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने नगर निगमों को अपने पार्षदों की सैलरी और क्लास वन और टू के अधिकारियों के वेतन के भुगतान में होने वाला खर्च के बारे में बताने का निर्देश दिया.

पार्षद और अधिकारी भगवान की तरह रह रहे हैं

कोर्ट ने कहा कि कोरोना काल में हेल्थ वर्कर्स, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मचारी फ्रंटलाईन कर्मचारी हैं. इनकी सैलरी देने की प्राथमिकता तय होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि नगर निगमों में विवेकाधीन खर्चे और अधिकारियों को भत्ते और गैर-जरुरी खर्चों पर रोक लगा सकती है ताकि उनका उपयोग फ्रंटलाईन कर्मचारियों को वेतन देने में हो सके. कोर्ट ने कहा कि पार्षद और अधिकारी भगवान की तरह रह रहे हैं.


निगमों को दिए गए कर्ज में कटौती नहीं की जा सकती
कोर्ट ने कहा कि धन की कमी का बहाना बनाकर सैलरी और पेंशन नहीं रोकी जा सकती है, क्योंकि सैलरी पाना एक कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने नगर निगमों को दिए जाने वाले कर्ज में कटौती करने की बात की थी. कोर्ट ने कहा कि कोरोना के संकट के दौरान रिजर्व बैंक ने भी लोन पर मोरेटोरियम की घोषणा की है, ऐसे में आप कर्ज में कटौती कैसे कर सकते हैं. इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील सत्यकाम ने इस पर सरकार से निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 21 जनवरी तक इसका जवाब देने को कहा.

ये भी पढ़ें:-Whatsapp मामला: याचिका की सुनवाई से जस्टिस प्रतिभा सिंह ने खुद को किया अलग

सैलरी समय पर देने की मांग
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह भी बताने को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि ट्रांसफर ड्यूटी और पार्किंग चार्ज के मद की राशि निगमों को जारी क्यों नहीं की गई. कोर्ट ने पूछा कि आप ये राशि नगर निगमों को कब देंगे. बता दें कि 5 नवंबर 2020 को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों, रिटायर्ड इंजीनियर्स और सफाईकर्मियों की सैलरी देने के मामले पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि नगर निगम के कर्मचारियों को अपने परिवार की मूलभूत जरुरतों को पूरा करने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. पैसों की कमी सब जगह है, लेकिन इस वजह से इन लोगों को उनकी मूलभूत जरुरतों से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगमों के कर्मचारियों और हेल्थ वर्कर्स को सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को दर्द महसूस होगा तो सारे काम होने लगेंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि सैलरी पाना एक कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है, जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने नगर निगमों को अपने पार्षदों की सैलरी और क्लास वन और टू के अधिकारियों के वेतन के भुगतान में होने वाला खर्च के बारे में बताने का निर्देश दिया.

पार्षद और अधिकारी भगवान की तरह रह रहे हैं

कोर्ट ने कहा कि कोरोना काल में हेल्थ वर्कर्स, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मचारी फ्रंटलाईन कर्मचारी हैं. इनकी सैलरी देने की प्राथमिकता तय होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि नगर निगमों में विवेकाधीन खर्चे और अधिकारियों को भत्ते और गैर-जरुरी खर्चों पर रोक लगा सकती है ताकि उनका उपयोग फ्रंटलाईन कर्मचारियों को वेतन देने में हो सके. कोर्ट ने कहा कि पार्षद और अधिकारी भगवान की तरह रह रहे हैं.


निगमों को दिए गए कर्ज में कटौती नहीं की जा सकती
कोर्ट ने कहा कि धन की कमी का बहाना बनाकर सैलरी और पेंशन नहीं रोकी जा सकती है, क्योंकि सैलरी पाना एक कर्मचारी का मूलभूत अधिकार है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने नगर निगमों को दिए जाने वाले कर्ज में कटौती करने की बात की थी. कोर्ट ने कहा कि कोरोना के संकट के दौरान रिजर्व बैंक ने भी लोन पर मोरेटोरियम की घोषणा की है, ऐसे में आप कर्ज में कटौती कैसे कर सकते हैं. इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील सत्यकाम ने इस पर सरकार से निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 21 जनवरी तक इसका जवाब देने को कहा.

ये भी पढ़ें:-Whatsapp मामला: याचिका की सुनवाई से जस्टिस प्रतिभा सिंह ने खुद को किया अलग

सैलरी समय पर देने की मांग
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह भी बताने को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि ट्रांसफर ड्यूटी और पार्किंग चार्ज के मद की राशि निगमों को जारी क्यों नहीं की गई. कोर्ट ने पूछा कि आप ये राशि नगर निगमों को कब देंगे. बता दें कि 5 नवंबर 2020 को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों, रिटायर्ड इंजीनियर्स और सफाईकर्मियों की सैलरी देने के मामले पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि नगर निगम के कर्मचारियों को अपने परिवार की मूलभूत जरुरतों को पूरा करने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. पैसों की कमी सब जगह है, लेकिन इस वजह से इन लोगों को उनकी मूलभूत जरुरतों से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.