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CBSE 10th Result: पारदर्शिता की मांग, सुनवाई से अलग हुए दिल्ली HC के जस्टिस सी हरिशंकर - जस्टिस सी हरिशंकर सुनवाई से अलग

Delhi High Court के जस्टिस सी हरिशंकर ने दसवीं बोर्ड का अंकपत्र तैयार करने के लिए स्कूलों के आंतरिक आकलन के आधार पर बनी नीति में बदलाव की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है

Delhi High Court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Jun 28, 2021, 4:42 PM IST

नई दिल्ली: दसवीं बोर्ड का अंकपत्र तैयार करने के लिए स्कूलों के आंतरिक आकलन के आधार पर बनी नीति में बदलाव की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से Delhi High Court के जस्टिस सी हरिशंकर ने खुद को अलग कर लिया है. अब ये याचिका उस बेंच के समक्ष लिस्ट की जाएगी, जिसके सदस्य जस्टिस सी हरिशंकर नहीं होंगे.

केंद्र ने रद्द की थी दसवीं बोर्ड की परीक्षा
पिछले 2 जून को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए CBSE, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका NGO जस्टिस फॉर ऑल की ओर से वकील शिखा शर्मा बग्गा ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील खगेश झा ने कहा था कि केंद्र सरकार ने पिछले 14 अप्रैल को कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद दसवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का फैसला किया. केंद्र सरकार ने कहा था कि छात्रों को CBSE की ओर से तैयार ऑब्जेक्टिव मानदंड के मुताबिक अंक दिए जाएंगे. केंद्र सरकार ने ये फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया.

पढ़ें: सर्वोदय स्कूल में एंट्री लेवल क्लास के लिए एडमिशन शुरू, 12 जुलाई अंतिम तिथि

तीन साल के प्रदर्शन को आधार पर बनाया जा रहा रिजल्ट
याचिका में मांग की गई है कि दसवीं बोर्ड के लिए अंकों का टेबुलेशन स्कूल की ओर से आयोजित आंतरिक आकलन के आधार पर करने की नीति में बदलाव हो. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई स्कूलों के पिछले तीन साल के प्रदर्शन के आधार पर टेबुलेशन तैयार कर रहा है, जो सरासर गलत है. वर्तमान शैक्षणिक सत्र के बच्चों का आकलन पूर्व के सत्र के साथ करना बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है.

नई दिल्ली: दसवीं बोर्ड का अंकपत्र तैयार करने के लिए स्कूलों के आंतरिक आकलन के आधार पर बनी नीति में बदलाव की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से Delhi High Court के जस्टिस सी हरिशंकर ने खुद को अलग कर लिया है. अब ये याचिका उस बेंच के समक्ष लिस्ट की जाएगी, जिसके सदस्य जस्टिस सी हरिशंकर नहीं होंगे.

केंद्र ने रद्द की थी दसवीं बोर्ड की परीक्षा
पिछले 2 जून को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए CBSE, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका NGO जस्टिस फॉर ऑल की ओर से वकील शिखा शर्मा बग्गा ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील खगेश झा ने कहा था कि केंद्र सरकार ने पिछले 14 अप्रैल को कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद दसवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का फैसला किया. केंद्र सरकार ने कहा था कि छात्रों को CBSE की ओर से तैयार ऑब्जेक्टिव मानदंड के मुताबिक अंक दिए जाएंगे. केंद्र सरकार ने ये फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया.

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तीन साल के प्रदर्शन को आधार पर बनाया जा रहा रिजल्ट
याचिका में मांग की गई है कि दसवीं बोर्ड के लिए अंकों का टेबुलेशन स्कूल की ओर से आयोजित आंतरिक आकलन के आधार पर करने की नीति में बदलाव हो. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई स्कूलों के पिछले तीन साल के प्रदर्शन के आधार पर टेबुलेशन तैयार कर रहा है, जो सरासर गलत है. वर्तमान शैक्षणिक सत्र के बच्चों का आकलन पूर्व के सत्र के साथ करना बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है.

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