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दिल्ली HC ने बार काउंसिल को दिए निर्देश, वकीलों की फीस के लिए तय हो गाइडलाइन

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि वो वकीलों की फीस को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश बनाए. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने बार काउंसिल को निर्देश दिया कि वो छह महीने के अंदर दिशानिर्देश बनाकर कोर्ट को सूचित करें.

वकीलों की फीस
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Published : Feb 24, 2019, 10:40 AM IST

मामला एक वकील द्वारा अपने मुवक्किल से फीस की सिक्योरिटी के रूप में ब्लैंक चेक लेने और बिना मुवक्किल की अनुमति के उन चेक के जरिये पैसे निकालने का है. याचिका एक महिला ने अपने ही वकील के खिलाफ दायर की थी. महिला ने अपने पति की मौत के बाद अपने ससुराल वालों से संपत्ति के बंटवारे और दूसरे केसों की पैरवी करने के लिए वकील पीके चौहान को हायर किया था. वकील ने महिला से अपने प्रोफेशनल फीस की सिक्योरिटी के लिए कई ब्लैंक चेक हस्ताक्षर कराकर ले लिए.

14 लाख की फीस तय थी
बंटवारे का केस कोर्ट में 7 नवंबर 2014 को शुरू हुआ जो 7 सितंबर 2018 को महिला के पक्ष में आया. महिला के मुताबिक उसके वकील ने उससे 14 लाख रुपये की फीस तय की थी. इस फीस के अलावा हर केस की फाइलिंग के लिए 50 हजार रुपये अलग से तय हुआ. महिला ने 50 हजार रुपये कैश वकील को दिए और बाद में डेढ़ लाख रुपये वकील के खाते में ट्रांसफर कर दिए.

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16 लाख से ज्यादा ले लिए
वकील ने महिला से 15-16 ब्लैंक चेक हस्ताक्षर कराकर सिक्योरिटी के रूप में रख लिए. केस का जब निपटारा हुआ तो वकील ने महिला के कई चेक को कैश कराते हुए 16 लाख 25 हजार रुपये ले लिए. इसके बाद भी वकील बचे हुए चेक बैंक में डालने लगा. महिला ने उन चेकों को रोकने का आदेश दिया जिससे वे चेक बाउंस हो गए. जो चेक बाउंस हुए थे उनके मामले में वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ चेक बाउंस का केस कर दिया.

हाईकोर्ट से वकील को नोटिस
महिला ने अपने वकील की सेवाएं बंद करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में उसने कहा कि उसके वकील सिक्योरिटी चेक को बैंक में डालकर पैसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं. उसके बाद हाईकोर्ट ने वकील को नोटिस जारी किया. हाईकोर्ट में वकील ने कहा कि महिला ने उससे 14 लाख रुपये की फीस तय की थी.
महिला और उसके वकील के जब बयान दर्ज हुए तब वकील पीके चौहान ने जिस वकील को रखा था उसने यह कहकर उनकी पैरवी करने से मना कर दिया कि केस के शुरू में सभी तथ्य नहीं बताए गए थे. बाद में वकील पीके चौहान ने कोर्ट से माफी मांगी और महिला के खिलाफ चेक बाउंस के केस वापस लेने और आगे अब महिला से कोई फीस नहीं लेने का अंडरटेकिंग दिया. माफी मांगने के बाद हाईकोर्ट ने वकील के खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया को वकीलों की फीस रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया.

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मामला एक वकील द्वारा अपने मुवक्किल से फीस की सिक्योरिटी के रूप में ब्लैंक चेक लेने और बिना मुवक्किल की अनुमति के उन चेक के जरिये पैसे निकालने का है. याचिका एक महिला ने अपने ही वकील के खिलाफ दायर की थी. महिला ने अपने पति की मौत के बाद अपने ससुराल वालों से संपत्ति के बंटवारे और दूसरे केसों की पैरवी करने के लिए वकील पीके चौहान को हायर किया था. वकील ने महिला से अपने प्रोफेशनल फीस की सिक्योरिटी के लिए कई ब्लैंक चेक हस्ताक्षर कराकर ले लिए.

14 लाख की फीस तय थी
बंटवारे का केस कोर्ट में 7 नवंबर 2014 को शुरू हुआ जो 7 सितंबर 2018 को महिला के पक्ष में आया. महिला के मुताबिक उसके वकील ने उससे 14 लाख रुपये की फीस तय की थी. इस फीस के अलावा हर केस की फाइलिंग के लिए 50 हजार रुपये अलग से तय हुआ. महिला ने 50 हजार रुपये कैश वकील को दिए और बाद में डेढ़ लाख रुपये वकील के खाते में ट्रांसफर कर दिए.

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16 लाख से ज्यादा ले लिए
वकील ने महिला से 15-16 ब्लैंक चेक हस्ताक्षर कराकर सिक्योरिटी के रूप में रख लिए. केस का जब निपटारा हुआ तो वकील ने महिला के कई चेक को कैश कराते हुए 16 लाख 25 हजार रुपये ले लिए. इसके बाद भी वकील बचे हुए चेक बैंक में डालने लगा. महिला ने उन चेकों को रोकने का आदेश दिया जिससे वे चेक बाउंस हो गए. जो चेक बाउंस हुए थे उनके मामले में वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ चेक बाउंस का केस कर दिया.

हाईकोर्ट से वकील को नोटिस
महिला ने अपने वकील की सेवाएं बंद करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में उसने कहा कि उसके वकील सिक्योरिटी चेक को बैंक में डालकर पैसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं. उसके बाद हाईकोर्ट ने वकील को नोटिस जारी किया. हाईकोर्ट में वकील ने कहा कि महिला ने उससे 14 लाख रुपये की फीस तय की थी.
महिला और उसके वकील के जब बयान दर्ज हुए तब वकील पीके चौहान ने जिस वकील को रखा था उसने यह कहकर उनकी पैरवी करने से मना कर दिया कि केस के शुरू में सभी तथ्य नहीं बताए गए थे. बाद में वकील पीके चौहान ने कोर्ट से माफी मांगी और महिला के खिलाफ चेक बाउंस के केस वापस लेने और आगे अब महिला से कोई फीस नहीं लेने का अंडरटेकिंग दिया. माफी मांगने के बाद हाईकोर्ट ने वकील के खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया को वकीलों की फीस रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया.

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Intro:नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि वो वकीलों की फीस को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश बनाए । एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने बार काउंसिल को निर्देश दिया कि वो छह महीने के अंदर दिशानिर्देश बनाकर कोर्ट को सूचित करें।


Body:मामला एक वकील द्वारा अपने मुवक्किल से फीस के सिक्योरिटी के रुप में ब्लैंक चेक लेने और बिना मुवक्किल की अनुमति के उन चेक के जरिये पैसे निकालने का है। याचिका एक महिला ने अपने ही वकील के खिलाफ दायर की थी। महिला ने अपने पति की मौत के बाद अपने ससुराल वालों से संपत्ति के बंटवारे और दूसरे केसों की पैरवी करने के लिए वकील पीके चौहान को हायर किया था। वकील ने महिला से अपने प्रोफेशनल फीस के सिक्योरिटी के लिए कई ब्लैंक चेक हस्ताक्षर कराकर ले लिए।
बंटवारे का केस कोर्ट में 7 नवंबर 2014 को शुरु हुआ जो 7 सितंबर 2018 को महिला के पक्ष में आया। महिला के मुताबिक उसके वकील ने उससे 14 लाख रुपये की फीस तय की थी। इस फीस के अलावा हर केस की फाईलिंग के लिए 50 हजार रुपये अलग से तय हुआ। महिला ने 50 हजार रुपये कैश वकील को दिए और बाद में डेढ़ लाख रुपये वकील के खाते में ट्रांसफर कर दिए। वकील ने महिला से 15-16 ब्लैंक चेक हस्ताक्षर कराकर सिक्योरिटी के रुप में रख लिए। केस का जब निपटारा हुआ तो वकील ने महिला के कई चेक को कैश कराते हुए 16 लाख 25 हजार रुपये ले लिए। इसके बाद भी वकील बचे हुए चेक बैंक में डालने लगा । महिला ने उन चेकों को रोकने का आदेश दिया जिससे वे चेक बाउंस हो गए। जो चेक बाउंस हुए थे उनके मामले में वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ चेक बाउंस का केस कर दिया।


Conclusion:महिला ने अपने वकील की सेवाएं बंद करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उसने कहा कि उसके वकील सिक्योरिटी चेक को बैंक में डालकर पैसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं। उसके बाद हाईकोर्ट ने वकील को नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट में वकील ने कहा कि महिला ने उससे 41 लाख रुपये की फीस तय की थी। महिला और उसके वकील के जब बयान दर्ज हुए तब वकील पीके चौहान ने जिस वकील को रखा था उसने यह कहकर उनकी पैरवी करने से मना कर दिया कि केस के शुरु में सभी तथ्य नहीं बताए गए थे। बाद में वकील पीके चौहान ने कोर्ट से माफी मांगी और महिला के खिलाफ चेक बाउंस के केस वापस लेने और आगे अब महिला से कोई फीस नहीं लेने का अंडरटेकिंग दिया। माफी मांगने के बाद हाईकोर्ट ने वकील के खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया को वकीलों की फीस रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया।
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