नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया. हालांकि, हाईकोर्ट ने बोर्ड से 123 वक्फ संपत्तियों को डीलिस्ट करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए एक अलग याचिका दायर करने को कहा है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने बुधवार को बोर्ड के आवेदन पर अंतरिम आदेश जारी करने से मना कर दिया. हाईकोर्ट ने पहले दायर की गई याचिका को आगे की सुनवाई के लिए 4 अगस्त की तारीख मुकर्रर की है.
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने हाल ही में केंद्र के फैसले को चुनौती देने के लिए एडवोकेट वजीह सफीक के जरिए आवेदन दिया था. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान ने कहा कि 123 संपत्तियां लंबे समय से वक्फ बोर्ड के पास रही हैं और केंद्र सरकार इस पर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रही है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट केंद्र सरकार से 19 मई 2016 को गठित वन मैन कमेटी की 15 मई, 2017 की याचिकाकर्ता की रिपोर्ट सौंपने की मांग करें.
इस याचिका में वन मैन कमेटी की रिपोर्ट के संबंध में केंद्र सरकार और उसके सभी विभागों द्वारा लिए गए सभी निर्णयों और कार्यों को रद्द करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि वह सरकार को वन मैन कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर फिर से एक निर्णय लेने के निर्देश दें. इसमें कहा गया है कि मथुरा रोड स्थित इंद्रपत गांव के खसरा संख्या 484 के कादिमी कब्रिस्तान जैसे वक्फ संपत्ति को केंद्र द्वारा लिए जाने के फैसले को रद्द करने के आदेश दिया जाए.
याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए दो सदस्यीय समिति नियुक्त की, क्योंकि न तो पूर्व में नियुक्त एक सदस्यीय समिति की रिपोर्ट दिल्ली वक्फ बोर्ड के साथ साझा की गई है और न ही वक्फ संपत्ति को लिए जाने के कारण और खारिज करने की प्रक्रिया को साझा किया गया है. इसमें यह भी तर्क दिया गया है कि एक सदस्य समिति और बाद में दो सदस्यीय समिति की नियुक्ति के बीच केंद्र ने इन 123 वक्फ संपत्तियों में से एक स्थायी आधार पर आईटीबीपी को आवंटित की है.
(इनपुट- ANI)
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