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दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न की शिकार नाबालिग को दी गर्भपात कराने की इजाजत - 13 साल की एक लड़की को गर्भपात कराने की इजाजत

दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न की शिकार नाबालिग को 25 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है. पीड़िता नाबालिग है और उसकी उम्र 13 साल है. पीड़िता और उसकी मां प्रेगनेंसी को आगे नहीं रखना चाहती, जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला दिया है.

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Published : Jan 31, 2023, 10:32 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन प्रताड़ना की शिकार 13 साल की एक लड़की को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है. मंगलवार को कोर्ट ने लड़की की जिंदगी और उसकी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए 25 हफ्ते के गर्भ को हटाने की अनुमति दी है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने सफदरजंग अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को बुधवार को गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की उम्र 13 साल है और वह यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है. इसके अलावा याचिकाकर्ता गर्भावस्था को जारी नहीं रखना चाहती है. इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता के जीवन के हित को ध्यान में रखते हुए उसकी निविदा आयु, उसके शिक्षा और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसे गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दे जाती है.

अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही में शामिल होने वाले मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों के साथ भी बातचीत की. बातचीत से ऐसा प्रतीत होता है कि गर्भावस्था को समाप्त करने के साथ-साथ गर्भावस्था को जारी रखने में भी जोखिम शामिल हैं. लेकिन डॉक्टरों ने यह सुनिश्चित किया है कि नाबालिग के गर्भ को हटाने के दौरान उसे बेहतरीन चिकित्सा सुविधा दी जाएगी. उच्च न्यायालय ने सोमवार को सफदरजंग अस्पताल को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने और याचिकाकर्ता की जांच करने का भी निर्देश दिया है.

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अदालत ने कहा कि गर्भपात करने के दौरान सभी तरह के खर्च केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उठाएगा और DCPA गर्भावस्था की समाप्ति के बाद पीड़िता के तत्काल पोषण और अन्य चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए 10,000 रुपये की राशि देगा.

(इनपुटः ANI)

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन प्रताड़ना की शिकार 13 साल की एक लड़की को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है. मंगलवार को कोर्ट ने लड़की की जिंदगी और उसकी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए 25 हफ्ते के गर्भ को हटाने की अनुमति दी है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने सफदरजंग अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को बुधवार को गर्भपात की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की उम्र 13 साल है और वह यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है. इसके अलावा याचिकाकर्ता गर्भावस्था को जारी नहीं रखना चाहती है. इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता के जीवन के हित को ध्यान में रखते हुए उसकी निविदा आयु, उसके शिक्षा और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसे गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दे जाती है.

अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही में शामिल होने वाले मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों के साथ भी बातचीत की. बातचीत से ऐसा प्रतीत होता है कि गर्भावस्था को समाप्त करने के साथ-साथ गर्भावस्था को जारी रखने में भी जोखिम शामिल हैं. लेकिन डॉक्टरों ने यह सुनिश्चित किया है कि नाबालिग के गर्भ को हटाने के दौरान उसे बेहतरीन चिकित्सा सुविधा दी जाएगी. उच्च न्यायालय ने सोमवार को सफदरजंग अस्पताल को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने और याचिकाकर्ता की जांच करने का भी निर्देश दिया है.

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अदालत ने कहा कि गर्भपात करने के दौरान सभी तरह के खर्च केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय उठाएगा और DCPA गर्भावस्था की समाप्ति के बाद पीड़िता के तत्काल पोषण और अन्य चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए 10,000 रुपये की राशि देगा.

(इनपुटः ANI)

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