स्कूलों में होने वाली मीटिंग के डेट के साथ-साथ एजेंडा भी ऐप द्वारा अभिभावकों को बताया जाएगा, जिसके लिए वे पहले से ही तैयारियां कर सकेंगे. बता दें कि इस ऐप को चलाने के लिए सभी स्कूलों के एसएमसी सदस्यों को स्कूलों में ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी गई थी.
पारदर्शिता लाने के लिए गठन
सरकारी स्कूलों के काम में पारदर्शिता लाने के लिए एसएमसी का गठन किया गया था. गत कुछ वर्षों से एसएमसी मेंबर सक्रिय रूप से स्कूल में होने वाले सभी कामों में भाग ले रहे हैं. वहीं इस दौरान कई ऐसे मामले होते हैं, जिसे सुलझाने में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता था. कई बार तो यह मामले उच्च अधिकारियों के संज्ञान में ही नहीं आते थे.
जल्दी सुलझा ली जाएंगी समस्याएं
इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने करीब 1024 सरकारी स्कूलों के एसएमसी मेंबर्स के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किया है. इस एप्लीकेशन के जरिए एसएमसी मेंबर किसी भी समस्या को फ्लैग मार्क कर उच्चाधिकारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तक भी पहुंचा सकेंगे. बता दें कि पीडब्ल्यूडी और शिक्षा विभाग से संबंधित समस्याओं को हल होने में एक लंबा समय लग जाता था लेकिन अब इस ऐप के जरिए यह समस्याएं जल्दी ही सुलझा ली जाएंगी.
मिलेंगी बहुत जानकारी
वहीं इस ऐप द्वारा केवल फ्लैग मार्क कर के समस्याओं का ही समाधान नहीं होगा बल्कि सभी एसएमसी सदस्यों को होने वाली मीटिंग के एजेंडा और तारीख के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. बता दें कि पहले एजेंडा और मीटिंग के लिए एक रजिस्टर बनाया जाता था. जिसे पढ़ना कई बार सबके लिए संभव नहीं होता था लेकिन अब यह सारी जानकारियां ऐप में अपलोड कर दी जाएंगी. वहीं एसएमसी सदस्य मीटिंग एजेंडा से संबंधित कोई भी कमेंट भी ऐप में कर सकते हैं.
एजेंडा बनने के 24 घंटे बाद वह लॉक हो जाएगा और उसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं हो पाएगा. इससे अभिभावकों को मीटिंग से पहले ही एजेंडे के लिए तैयारी करने का समय मिल जाएगा. इसके अलावा एसएमसी सदस्य अपनी हाजिरी भी इस ऐप में लगा सकेंगे. इसके लिए सभी सदस्यों को यूजर नेम और पासवर्ड दिए जा चुके हैं.
मददगार होगा ये एप
बता दें कि इस सर्कल ऐप से पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, शिक्षा विभाग के अधिकारी, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी जुड़े हुए हैं. इसलिए यह ऐप कई मामलों में बहुत मददगार साबित होगा, क्योंकि कभी-कभी प्रिंसिपल भी इन उच्च अधिकारियों तक सीधे रूप से नहीं पहुंच पाते.
राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 के तहत सभी सरकारी स्कूलों में एक स्कूल प्रबंधन समिति का होना अनिवार्य है. बता दें कि एसएमसी में कोई बाहरी मेम्बर नहीं होता. इसमें स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावक होते हैं. इस समिति में कोई भी चुने हुए 12 अभिभावक सहित एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक एमएलए प्रतिनिधि, एक शिक्षक और चेयरमैन के रूप में प्रिंसिपल शामिल होते हैं.
दिल्ली सरकार ने गत कुछ वर्षों में एसएमसी के अधिकार बढ़ा दिए हैं. वहीं विद्यालय कल्याण समिति फंड का नाम भी एसएमसी फंड रख दिया गया है और इसे बढाकर 3 लाख से अधिक कर दिया गया है.