नई दिल्ली: सरकार द्वारा छात्रों की बुनियादी शिक्षा सुदृढ़ करने को लेकर चलाया जाने वाला कार्यक्रम मिशन बुनियाद इस वर्ष महज खानापूर्ति बनकर रह गया है. गर्मियों की छुट्टियों में सभी सरकारी स्कूल खुले हैं जिसमें मिशन बुनियाद, निदानात्मक क्लास और समर कैंप चलाया जा रहा है.
मिशन बुनियाद कार्यक्रम में इस साल बड़ी संख्या में छात्रों की अनुपस्थिति दर्ज की जा रही है. वहीं राजकीय शिक्षक संघ के महासचिव अजयवीर यादव ने गर्मियों की छुट्टी में स्कूल खोलने के सरकार के फैसले को छात्रों के लिए हानिकारक बताया है.
छुट्टियों में स्कूल खोलना वोट बटोरने का स्टंट
शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश के तहत सभी सरकारी स्कूलों में 15 मई से मिशन बुनियाद, निदानात्मक कक्षा, कंपार्टमेंट के छात्रों के लिए अतिरिक्त कक्षा और समर कैंप शुरू हो गया है. सरकार द्वारा छात्रों के लिए चलाए जा रहे इस कार्यक्रम में छात्र रुचि लेते नहीं दिख रहे.
यही कारण है कि छात्रों की हाजिरी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इसको लेकर राजकीय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने बताया कि छुट्टियों में स्कूल खुला रखना सरकार का केवल वोट बटोरने का स्टंट है.
मानसिक और शारीरिक विश्राम के लिए होता है अवकाश
अजय वीर यादव ने कहा कि ग्रीष्मकालीन अवकाश छात्रों को मानसिक और शारीरिक विश्राम देने के लिए होता है, उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर छात्रों के अभिभावक दूसरे प्रदेशों से रोजगार की तलाश में दिल्ली आते हैं. गर्मी की छुट्टियों में अपने परिजनों के पास समय बिताने वापस जाते हैं. ऐसे में अगर सरकार गर्मी की छुट्टियां भी बंद कर देती है तो छात्रों के पास स्कूल में गैर हाजिर होने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता.
उन्होंने कहा कि छात्रों को पढ़ाई के बीच में ब्रेक की बहुत जरूरत होती है क्योंकि लगातार पढ़ने से छात्रों की रुचि पढ़ाई में कम होती चली जाती है. साल भर स्कूल खुला रखने से छात्रों को मानसिक तनाव होता है साथ ही छात्रों की पढ़ाई से रुचि भी खत्म हो जाती है.
छात्र हो जाते हैं बोर
कंपार्टमेंट के छात्रों द्वारा स्कूल आने से मना करने को लेकर अजयवीर ने कहा कि कंपार्टमेंट के छात्रों के लिए निदानात्मक कक्षाएं जरूरी थी, लेकिन 6 जून तक की कक्षा पर्याप्त थी जिसमें छात्र अपनी सुविधानुसार आकर अपने कठिन विषयों का हल प्राप्त कर सकते थे.
इसके अलावा यदि किसी छात्र को आवश्यकता होती तो उनकी सहूलियत के हिसाब से शिक्षकों को बीच में कभी भी किसी भी एक दिन बुलाया जा सकता था. लेकिन 29 जून तक लगातार क्लास कर देने की वजह से छात्रों को बोरियत हो गई और उनकी रुचि पूरी तरह से खत्म हो गई. यही कारण है कि कंपार्टमेंट के छात्र स्कूल नहीं आना चाहते.
50 फीसदी छात्र रहे अनुपस्थित
शिक्षा निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक पहले दिन यानी 15 मई को स्कूलों में छात्रों की हाजिरी 30.11 फीसदी रही, 16 मई को 32. 26, 17 मई को 31.45 और 20 मई को 31.46 प्रतिशत छात्र हाजिर हुए. यानी आंकड़ो की माने तो 50 फीसदी छात्रों ने स्कूल अटेंड ही नहीं किया.
अजयवीर यादव ने बताया कि सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को ना बुलाए जाने से शिक्षकों की भारी कमी हो गयी है. ऐसे में मिशन बुनियाद, 10वीं और 12वीं की निदानात्मक क्लास, कंपार्टमेंट के छात्रों की क्लास और समर कैंप केवल मुट्ठीभर शिक्षकों को संभालना पड़ रहा है, जिससे पढ़ाई महज़ खानापूर्ति बनकर रह गयी है.
छात्र रिफ्रेशमेंट के लालच में आ रहे हैं स्कूल
वहीं छात्रों की हाज़िरी को लेकर अजयवीर ने कहा कि गर्मियों की छुट्टियों में कोई छात्र स्कूल नहीं आना चाहता. ऐसे में जो छात्र स्कूल आ रहे हैं वे रिफ्रेशमेंट की लालच में आ रहे हैं. अगर सरकार रिफ्रेशमेंट बंद कर दे तो मुश्किल से 5 फीसदी छात्र ही स्कूल आएंगे.