नई दिल्ली: कोरोना काल में दिल्ली सरकार के जरिए अक्षरधाम मंदिर में दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का भव्य आयोजन किया गया था. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार इस आधे घंटे के कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपय खर्च हुए थे, यानी इस पूजा पर प्रति मिनट लगभग 20 लाख रुपय खर्च हुए थे.
आरटीआई से मिली जानकारी
आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले के जरिए मांगी गई जानकारी के जवाब में दिल्ली सरकार के पर्यटन विभाग ने दी. जानकारी के अनुसार यह पूरा कार्यक्रम दिल्ली सरकार का आधिकारिक कार्यक्रम था. आधे घंटे के इस कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
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अरविंद केजरीवाल का बस एक मकसद है, अपना चेहरा चमकाने का.
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जब दिल्ली में डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी कोरोना के दौरान महीनों वेतन नहीं मिलने के कारण भूख हड़ताल पर बैठे थे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना चेहरा चमकाने के लिए 6 करोड़ खर्च कर गए. pic.twitter.com/xQgejl9BPB
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— Anil Chaudhary (@Ch_AnilKumarINC) December 22, 2020
जब दिल्ली में डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी कोरोना के दौरान महीनों वेतन नहीं मिलने के कारण भूख हड़ताल पर बैठे थे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना चेहरा चमकाने के लिए 6 करोड़ खर्च कर गए. pic.twitter.com/xQgejl9BPBअरविंद केजरीवाल का बस एक मकसद है, अपना चेहरा चमकाने का.
— Anil Chaudhary (@Ch_AnilKumarINC) December 22, 2020
जब दिल्ली में डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी कोरोना के दौरान महीनों वेतन नहीं मिलने के कारण भूख हड़ताल पर बैठे थे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना चेहरा चमकाने के लिए 6 करोड़ खर्च कर गए. pic.twitter.com/xQgejl9BPB
कांग्रेस ने उठाए सवाल
पर्यटन विभाग की दी गई जानकारी के बाद से ही दिल्ली सरकार पर इस आयोजन को लेकर अब लगातार सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का असली मकसद बस अपना चेहरा चमकाना है. कोरोना काल में अपना चेहरा चमकाने के लिए उन्होंने 30 मिनट के आयोजन पर छह करोड़ रुपये खर्च कर दिए, जबकि उस समय डॉक्टर, सफाई कर्मचारी वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे थे.
अक्षरधाम मंदिर में हुआ था भव्य आयोजन
गौरतलब है कि 14 नवंबर को दीपावली के दिन दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में दिल्ली सरकार ने लक्ष्मी पूजा का आयोजन किया था, जिसमें दिल्ली सरकार के सभी मंत्री और विधायक शामिल हुए थे. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार इस आधे घंटे के आयोजन पर 6 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. जिसके बाद से ही दिल्ली सरकार के इस आयोजन पर सवाल उठ रहे हैं.