नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार को आम बजट (Union Budget 2023) से काफी उम्मीद है. उनका मानना है कि राजधानी की दो करोड़ आबादी के साथ अभी तक सौतेला व्यवहार होता आ रहा है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के बदले मिलने वाला अनुदान पिछले दो दशक से बिना बढ़ोतरी के केवल 325 करोड़ रुपये ही मिलता रहा है, जबकि यहां के लोग 1.5 लाख करोड़ रुपये का टैक्स केंद्र सरकार को अदा करते हैं.
बता दें कि आम बजट में केंद्र सरकार दिल्ली के लिए कितना बजट आवंटित करती है यह कुछ घंटे बाद साफ हो जाएंगी. आप सांसद का कहना है कि मोदी सरकार लंबे समय से दिल्ली की अनदेखी करती रही है. उन्होंने कहा हमारी सरकार लंबे समय से केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाने, निगमों को अतिरिक्त फंड उपलब्ध कराने और राजधानी के लिए अतिरिक्त बजट आवंटन बढ़ाने की मांग करती रही है. बहरहाल दिल्ली नगर निगम में सत्ता बदल चुकी है ऐसे में यह भी देखना दिलचस्प होगा कि एकीकृत की जा चुकी एमसीडी को इस बार केंद्र से कितना बजट मिलता है.
आप सांसद ने कहा आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगम को केंद्रीय बजट से फंड मिलने की उम्मीद भी की जा रही है. उन्होंने कहा केंद्र से दिल्ली नगर निगम को आर्थिक संकट से उबारने के लिए 12000 करोड़ रुपये की मांग की थी. बावजूद गत वर्ष एक रुपया भी आवंटन नहीं किया गया. दिल्ली के वित्त मंत्री कहते हैं इसी तरह केंद्र सरकार डिजास्टर रिस्पांस के अनुदान के रूप में मिलने वाली राशि में भी बढ़ोतरी करेगी, हमने इसकी मांग भी की थी. इस मद में वर्ष 2021 में दिल्ली को 161 करोड़ रुपये मिले थे, तो वहीं 2022 में इसे घटाकर मात्र 5 करोड़ कर दिया गया. इस संबंध में गत दिनों वित्त मंत्री के साथ बैठक में दिल्ली सरकार ने प्रस्ताव भी भेजा है.
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बता दें कि पिछले दिनों सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ हुई बैठक में वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट में पर्याप्त फंड देने की मांग दोहराई थी. उनका कहना था कि केंद्र ने पिछले साल भी बीजेपी शासित एमसीडी को एक रुपया नहीं दिया था. जबकि देश की अन्य नगर निगमों के लिए दो लाख करोड़ रुपए दिए थे. अब दिल्ली नगर निगम नए स्वरूप में काम करेगी ऐसे में आम आदमी पार्टी की सरकार को उम्मीद है कि केंद्र एमसीडी के लिए की गई मांग के अनुरूप फंड आवंटित करेगी. उन्होंने कहा वर्ष 2001-02 से ही दिल्ली की केंद्रीय करों में हिस्सेदारी नहीं बढ़ी है. सरकार इसे बढ़ाने के लिए लगातार केंद्र से मांग करती रही है लेकिन अभी भी दिल्ली को केंद्रीय करों में से 325 करोड़ रुपए ही मिलते हैं. जबकि दिल्ली के लोग डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा का टैक्स सरकार को अदा करते हैं. दिल्ली का जीएसटी कलेक्शन भी पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ा है.
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