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HC: कोरोना टेस्टिंग में इस्तेमाल स्वैब को खुले में फेंकने पर दिल्ली सरकार से जवाब-तलब - दिल्ली हाईकोर्ट कोरोना टेस्टिंग स्वैब

दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना के रैपिड एंटिजन टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किए गए स्वैब के सुरक्षित निस्तारण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की.

Delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Dec 1, 2020, 8:09 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना के रैपिड एंटिजेन टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किए गए स्वैब के सुरक्षित निस्तारण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वे इस मामले में सरकार का पक्ष बताएं. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दो दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया. मामले पर अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी.

खुले में फेंका जा रहा टेस्ट में इस्तेमाल किया स्वैब

याचिका वकील पंकज मेहता ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना टेस्टिंग से संबंधित कचरे को खुले में फेंक दिया जाता है. याचिका में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के डीएम आफिस के पास इस्तेमाल किए गए स्वैब का ढेर लगा हुआ है और वहीं टेस्टिंग भी की जाती है जो काफी खतरनाक है. इस बारे में जब शिकायत की गई तो जांच करनेवाले काउंटर पर बैठने वाले डॉक्टर ने कहा कि ये सभी स्वैब कोरोना निगेटिव लोगों के हैं, इसलिए वहां खड़े होना खतरनाक नहीं है.

केंद्र ने कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए जारी किए दिशा-निर्देश

याचिका में कहा गया है कि कोरोना टेस्टिंग के कचरे के निस्तारण के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी किए जाएं. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 3 जुलाई को क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें अस्पतालों और हेल्थकेयर सेंटर्स पर साफ सफाई और कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी किया गया है. लेकिन इस दिशानिर्देश का पालन नहीं किया जाता है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली के सभी कोरोना टेस्टिंग सेंटर्स का सेफ्टी आडिट किए जाएं.

धारा-21 का उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि टेस्टिंग सेंटर्स पर इस तरह की लापरवाही लोगों के जीने के संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है. ऐसी स्थिति में कोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरुरत है.याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई सारे फैसलों में कहा है कि कोरोना टेस्टिंग और कचरों के निस्तारण से जुड़े दिशानिर्देश को पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि कोरोना के फैलाव और संक्रमण को रोका जा सके.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना के रैपिड एंटिजेन टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किए गए स्वैब के सुरक्षित निस्तारण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वे इस मामले में सरकार का पक्ष बताएं. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दो दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया. मामले पर अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी.

खुले में फेंका जा रहा टेस्ट में इस्तेमाल किया स्वैब

याचिका वकील पंकज मेहता ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना टेस्टिंग से संबंधित कचरे को खुले में फेंक दिया जाता है. याचिका में कहा गया है कि दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के डीएम आफिस के पास इस्तेमाल किए गए स्वैब का ढेर लगा हुआ है और वहीं टेस्टिंग भी की जाती है जो काफी खतरनाक है. इस बारे में जब शिकायत की गई तो जांच करनेवाले काउंटर पर बैठने वाले डॉक्टर ने कहा कि ये सभी स्वैब कोरोना निगेटिव लोगों के हैं, इसलिए वहां खड़े होना खतरनाक नहीं है.

केंद्र ने कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए जारी किए दिशा-निर्देश

याचिका में कहा गया है कि कोरोना टेस्टिंग के कचरे के निस्तारण के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी किए जाएं. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 3 जुलाई को क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें अस्पतालों और हेल्थकेयर सेंटर्स पर साफ सफाई और कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी किया गया है. लेकिन इस दिशानिर्देश का पालन नहीं किया जाता है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली के सभी कोरोना टेस्टिंग सेंटर्स का सेफ्टी आडिट किए जाएं.

धारा-21 का उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि टेस्टिंग सेंटर्स पर इस तरह की लापरवाही लोगों के जीने के संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है. ऐसी स्थिति में कोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरुरत है.याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई सारे फैसलों में कहा है कि कोरोना टेस्टिंग और कचरों के निस्तारण से जुड़े दिशानिर्देश को पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि कोरोना के फैलाव और संक्रमण को रोका जा सके.

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