नई दिल्ली: दिल्ली की बिजली मंत्री आतिशी ने सोमवार को दिल्ली सचिवालय में प्रेस वार्ता कर बिजली के दाम बढ़ने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. आतिशी ने कहा कि बिजली की दरें (पीपीएसी) दस वर्ष के लिए निर्धारित होती है. प्रत्येक बिजली विनियामक आयोग कुछ माह बाद इसकी समीक्षा कर बिजली वितरण कंपनियों को अधिभार घटाने या बढ़ाने की अनुमति देता है.
उन्होंने कहा कि तीन माह के लिए अधिभार बढ़ भी सकता है और घट भी सकता है. केंद्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण कोयला महंगा हो गया है. देश में पहली बार कोयले की कृत्रिम कमी हो गई है. इस कारण कोयले के दाम बढ़ रहे हैं. बिजली मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह संयंत्रों के लिए कुल खपत का 10 प्रतिशत आयातित कोयला खरीदने को अनिवार्य कर दिया है. आयातित कोयला देश में मिलने वाले कोयले से 10 गुना महंगा होता है. दो हजार प्रति टन कोयला मिलता है. आयातित कोयला 25 हजार प्रति टन है. कोयला आयातित करने वालों के साथ केंद्र सरकार की मिलीभगत है. भारत में कोयले की कोई कमी नहीं है. जानबूझकर कोयला आयात करने वालों को लाभ पहुंचाने के लिए कम उत्पादन किया जा रहा है.
200 यूनिट तक खपत करने वालों तक कोई असर नहींः आतिशी ने कहा कि 200 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ता बिजली बिल जीरो आने के कारण इन बढ़े हुए दामों से प्रभावित नहीं होंगे. इसलिए सब्सिडी वाले उपभोक्ताओं के प्रति यूनिट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बाकी के बिजली बिल पर आठ प्रतिशत का अधिभार बढ़ेगा.
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दिल्ली में एनटीपीसी के चार पावर प्लांटः मंत्री ने बताया कि दिल्ली में एनटीपीसी के चार पावर प्लांट हैं. एनटीपीसी 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा महंगी बिजली दिल्ली के डिस्काम को दे रही है. केंद्र सरकार के संयंत्रों से महंगी बिजली मिलने के कारण दिल्ली में बिजली का रेट बढा है. गैस संयंत्रों से भी महंगी बिजली मिल रही है क्योंकि गैस के दाम पर केंद्र सरकार नियंत्रण नहीं कर रही है. केंद्र सरकार के कारण पूरे देश में बिजली महंगी हो रही है.