नई दिल्ली: कौन कहता है कि टेक्नोलॉजी धोखा नहीं देती है. कभी-कभी टेक्नोलॉजी भी धोखा देती है और इसका खामियाजा भी उठाना पड़ता है. कुछ ऐसा ही दिल्ली सरकार के स्कूलों में चयनित हुए शिक्षकों के साथ हुआ. परीक्षा पास कर शिक्षकों को लगने लगा कि अब वह सरकारी स्कूलों में बच्चों का भविष्य संवारने का काम करेंगे, लेकिन बायोमेट्रिक ने उनका सारा खेल खराब कर दिया. आलम यह रहा कि उन्हें शिक्षा विभाग ने बर्खास्त कर दिया. हालांकि, जिस बायोमेट्रिक ने शिक्षकों का खेल खराब किया. उसी बायोमेट्रिक ने फिर शिक्षकों का खेल बनाया और उन्हें दोबारा नौकरी मिली. आइए जानते हैं क्या था पूरा मामला...
डीएसएसएसबी ने शिक्षा विभाग में शिक्षकों के विभिन्न पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की. इसके लिए साल 2018 में परीक्षा कराई गई. उम्मीदवारों ने परीक्षा दी. इसके बाद उम्मीदवारों का बायोमेट्रिक हुआ, लेकिन इस दौरान 61 शिक्षकों का बायोमेट्रिक मिलान नहीं हुआ. डीएसएसएसबी ने इसकी सूचना शिक्षा विभाग को सौंप दी. शिक्षा विभाग ने इस रिपोर्ट के आधार पर 61 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया.
इन शिक्षकों पर आरोप लगाया गया कि इन्होंने परीक्षा में किसी और को बैठाया है. यहीं वजह है कि इनका बायोमेट्रिक मिलान नहीं हुआ. शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों को नोटिस जारी किया. शिक्षकों ने दोबारा से बायोमेट्रिक मिलान करने का आग्रह किया. जब दोबारा बायोमेट्रिक लिया गया तो उम्मीदवारों का मिलान हुआ. जिसके बाद शिक्षा विभाग ने बर्खास्त शिक्षकों के संबंध में नोटिस वापिस लिया. शिक्षा विभाग के इस फैसले से अब शिक्षा विभाग में प्राइमरी से लेकर टीजीटी पीजीटी रैंक के शिक्षक दोबारा स्कूलों में पढ़ा सकेंगे.
क्या होता है बायोमेट्रिकः बायोमेट्रिक एक तरह का (बायोलाजिकल मेजरमेंट) है. इसकी मदद से किसी इंसान की पहचान आसानी से की जा सकती है. इस प्रक्रिया में इंसान की अंगुली, आंख, चेहरे का मैपिंग किया जाता है. इसका इस्तेमाल आज हर जगह किया जाता है. खासतौर पर दफ्तरों और स्कूलों में हाजरी लगाने के दौरान.
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