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रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद दिल्ली मंडल से हटेंगे डीजल लोकोमोटिव - etv bharat

27 जुलाई को रेलवे बोर्ड में सभी जोनल रेलवे के अधिकारियों की मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में चर्चा के बाद ये फैसला लिया गया कि 31 साल पुराने डीजल इंजन को हटाया जाए.

31 साल पुराने डीजल इंजन को हटाया जाएगा, etv bharat
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Published : Aug 18, 2019, 5:02 AM IST

नई दिल्ली: बीते दिनों आए रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल से डीजल लोकोमोटिव्स हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मंडल अधिकारियों ने 31 साल पुराने उन डीजल लोकोमोटिव्स (इंजन) की सूची भी बना ली है जिन्हें तत्काल प्रभाव से रिटायर करना है. दावा है कि फैसले से पर्यावरण के साथ-साथ यात्रियों को भी कई मायनों में फायदा पहुंचेगा.

31 साल पुराने डीजल लोकोमोटिव को हटाया जाएगा

दिल्ली मंडल के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, यहां अभी के समय में कुल 410 लोकोमोटिव्स हैं जिसमें 141 डीजल आधारित हैं. बोर्ड द्वारा भेजे गए 31 साल के मापदंड के हिसाब से ऐसे कुल 9 डीजल लोकोमोटिव्स हैं जो उक्त समयसीमा पूरी कर चुके हैं. ऐसे में इन्हें मेनलाइन सर्विस से हटाया जा रहा है. इसके अलावा बचे 130 लोकोमोटिव्स को भी धीरे-धीरे साइडलाइन कर दिया जाएगा.

रेलवे का फैसला यात्रियों के लिए है फायदेमंद
अधिकारियों की मानें तो ये फैसला रेलवे के लिए तो फायदेमंद है ही, साथ ही ये यात्रियों के लिए अधिक फायदे वाला होगा. रेलवे को जहां इन लोकोमोटिव्स के मेन्टेन्स और कई बार बीच राह में धोखा देने वाली परेशानी से जूझना पड़ रहा था तो वहीं यात्री भी इसके चलते परेशान होते थे. डीजल लोकोमोटिव्स की तुलना में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स तेज गति से दौड़ते हैं, ऐसे में इससे समय पालन बेहतर किया जा सकेगा. इसमें ही सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा प्रदूषण का है जिस पर इन लोकोमोटिव्स के हट जाने से लगाम लग जाएगी.

27 जुलाई को रेलवे बोर्ड अधिकारियों की हुई थी मीटिंग
बता दें कि 27 जुलाई को रेलवे बोर्ड में सभी जोनल रेलवे के अधिकारियों की मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में चर्चा हुई कि पुराने डीजल इंजन ज्यादा खपत करते हैं और प्रदूषण भी बढ़ाते हैं. ऐसे में 31 साल पुराने डीजल इंजन को हटाया जाए. इसी के बाद से सभी जगहों पर ये आंकलन चल रहा है कि कौन-कौन से डीजल अब तय समयसीमा को पूरा कर चुके हैं.

नई दिल्ली: बीते दिनों आए रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल से डीजल लोकोमोटिव्स हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मंडल अधिकारियों ने 31 साल पुराने उन डीजल लोकोमोटिव्स (इंजन) की सूची भी बना ली है जिन्हें तत्काल प्रभाव से रिटायर करना है. दावा है कि फैसले से पर्यावरण के साथ-साथ यात्रियों को भी कई मायनों में फायदा पहुंचेगा.

31 साल पुराने डीजल लोकोमोटिव को हटाया जाएगा

दिल्ली मंडल के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, यहां अभी के समय में कुल 410 लोकोमोटिव्स हैं जिसमें 141 डीजल आधारित हैं. बोर्ड द्वारा भेजे गए 31 साल के मापदंड के हिसाब से ऐसे कुल 9 डीजल लोकोमोटिव्स हैं जो उक्त समयसीमा पूरी कर चुके हैं. ऐसे में इन्हें मेनलाइन सर्विस से हटाया जा रहा है. इसके अलावा बचे 130 लोकोमोटिव्स को भी धीरे-धीरे साइडलाइन कर दिया जाएगा.

रेलवे का फैसला यात्रियों के लिए है फायदेमंद
अधिकारियों की मानें तो ये फैसला रेलवे के लिए तो फायदेमंद है ही, साथ ही ये यात्रियों के लिए अधिक फायदे वाला होगा. रेलवे को जहां इन लोकोमोटिव्स के मेन्टेन्स और कई बार बीच राह में धोखा देने वाली परेशानी से जूझना पड़ रहा था तो वहीं यात्री भी इसके चलते परेशान होते थे. डीजल लोकोमोटिव्स की तुलना में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स तेज गति से दौड़ते हैं, ऐसे में इससे समय पालन बेहतर किया जा सकेगा. इसमें ही सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा प्रदूषण का है जिस पर इन लोकोमोटिव्स के हट जाने से लगाम लग जाएगी.

27 जुलाई को रेलवे बोर्ड अधिकारियों की हुई थी मीटिंग
बता दें कि 27 जुलाई को रेलवे बोर्ड में सभी जोनल रेलवे के अधिकारियों की मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में चर्चा हुई कि पुराने डीजल इंजन ज्यादा खपत करते हैं और प्रदूषण भी बढ़ाते हैं. ऐसे में 31 साल पुराने डीजल इंजन को हटाया जाए. इसी के बाद से सभी जगहों पर ये आंकलन चल रहा है कि कौन-कौन से डीजल अब तय समयसीमा को पूरा कर चुके हैं.

Intro:ये डे-प्लान की स्टोरी है.

नई दिल्ली:
बीते दिनों आए रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल से डीजल लोकोमोटिव्स हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मंडल अधिकारियों ने 31 साल पुराने उन डीजल लोकोमोटिव्स (इंजन) की सूची भी बना ली है जिन्हें तत्काल प्रभाव से रिटायर करना है. दावा है कि फैसले से पर्यावरण के साथ-साथ यात्रियों को भी कई मायनों में फायदा पहुंचेगा.


Body:दिल्ली मंडल के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, यहां अभी के समय में कुल 410 लोकोमोटिव्स हैं जिसमें 141 डीजल आधारित हैं. बोर्ड द्वारा भेजे गए 31 साल के मापदंड के हिसाब से ऐसे कुल 9 डीजल लोकोमोटिव्स हैं जो उक्त समयसीमा पूरी कर चुके हैं. ऐसे में इन्हें मेनलाइन सर्विस से हटाया जा रहा है. इसके अलावा बचे 130 लोकोमोटिव्स को भी धीरे-धीरे साइडलाइन कर दिया जाएगा.

अधिकारियों की मानें तो ये फैसला रेलवे के लिए तो फायदेमंद है ही, साथ ही ये यात्रियों के लिए अधिक फायदे वाला होगा. रेलवे को जहां इन लोकोमोटिव्स के मेन्टेन्स और कई बार बीच राह में धोखा देने वाली परेशानी से जूझना पड़ रहा था तो वहीं यात्री भी इसके चलते परेशान होते थे. डीजल लोकोमोटिव्स की तुलना में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स तेज गति से दौड़ते हैं, ऐसे में इससे समयपालन बेहतर किया जा सकेगा. इसमें ही सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा प्रदूषण का है जिसपर इन लोकोमोटिव्स के हट जाने से लगाम लग जाएगी.


Conclusion:बता दें कि 27 जुलाई को रेलवे बोर्ड में सभी जोनल रेलवे के अधिकारियों की मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में चर्चा हुई कि पुराने डीजल इंजन ज्यादा खपत करते हैं और प्रदूषण भी बढ़ाते हैं, ऐसे में 31 साल पुराने डीजल इंजन को हटाया जाए. इसी के बाद से सभी जगहों पर ये आंकलन चल रहा है कि कौन-कौन से डीजल अब तय समयसीमा को पूरा कर चुके हैं.
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