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मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र, कहा-बिना वैक्सीनेशन परीक्षा नहीं - केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा कि छात्रों को बिना वैक्सीनेशन के परीक्षा के लिए न बुलाया जाए. उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन या कोविशील्ड 17 से अधिक आयु वर्ग के बच्चों को दी जा सके, इसके लिए केंद्र सराकर विशेषज्ञों से राय ले. सरकार को फाइजर कंपनी से भी बात करनी चाहिए.

Delhi's Deputy Chief Minister wrote a letter to the Union Minister of Education
मनीष सिसोदिया
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Published : May 25, 2021, 7:02 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( सीबीएसई ) ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा के आयोजन को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एक पत्र लिखकर सुझाव दिया है. बता दें कि रविवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में 25 मई तक सुझाव देने के लिए कहा गया था. वहीं इस पत्र में उन्होंने बिना वैक्सीनेशन बच्चों को किसी भी परीक्षा में ना बुलाए जाने की बात कही है.

विकल्प संभव नहीं है तो परीक्षा रद्द कर दी जाए

साथ ही वैक्सीनेशन के संदर्भ में यह सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार फाइजर कंपनी से बात कर 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए एप्रूव्ड वैक्सीन खरीदे. साथ ही 17.5 वर्ष के ऊपर के छात्रों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड दी जा सकती है या नहीं, इसको लेकर एक्सपर्ट्स की राय लें. साथ ही कहा कि यदि यह दोनों विकल्प संभव नहीं है तो फिलहाल परीक्षा रद्द कर दी जाए.



वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को लिखे अपने पत्र में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि 12वीं की परीक्षा के संदर्भ में कोई निर्णय लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि आज भी हर रोज करीब 2.5 लाख कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. साथ ही तीसरी स्ट्रेन आने का भी खतरा है,जो बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है. ऐसे में परीक्षा का आयोजन छात्रों की जिंदगी जोखिम में डालना होगा.

बिना वैक्सीन छात्र को परीक्षा के लिए न बुलाएं

वहीं मनीष सिसोदिया ने कहा है कि बिना वैक्सीन के छात्रों को किसी भी परीक्षा के लिए न बुलाया जाए. उन्होंने कहा कि यदि फिर भी परीक्षा आयोजित करायी जाती है, तो उसके लिए भी दो सुझाव दिए हैं. पहला यह कि भारत सरकार एक्सपर्ट की यह राय ले कि भारत में बनी जो कोवैक्सीन और कोविशील्ड 18-44 वर्ष की आयु के लोगों को दी जा रही है, वह 17.5 वर्ष के छात्रों को दी जा सकती है या नहीं. साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार फाइजर कंपनी से तुरंत बात करे और उनसे 12 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों के लिए एप्रूव्ड वैक्सीन भारत लाएं.


3-4 सप्ताह में वैक्सीन कार्य हो सकता है पूरा

वहीं शिक्षा मंत्री का कहना है कि यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें एकजुट हो जाएं तो महज 3-4 सप्ताह में ही 12वीं के सभी शिक्षकों और छात्रों को वैक्सीन लगाने का काम पूरा किया जा सकता है. ऐसे में वैक्सीन लगाने के बाद ही परीक्षा आयोजित की जाए.

मूल्यांकन के लिए दिए यह सुझाव

वहीं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यदि किसी कारण से वैक्सीनेशन का विकल्प अभी संभव नहीं है तो इस सत्र कोई परीक्षा आयोजित ना कराई जाए. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि इस साल बोर्ड की परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए. वहीं जहां तक 12वीं क्लास के छात्रों के मूल्यांकन का सवाल है तो छात्रों ने स्कूल में 12 वर्ष बताए हैं.

ऐसे में उनके पूर्व शैक्षिक प्रदर्शनों यानी 10वीं की बोर्ड परीक्षा के परीक्षा परिणाम, 11वीं के परीक्षा परिणाम और 12वीं में स्कूल द्वारा आयोजित किए गए एसेसमेंट के आधार पर उनका रिजल्ट तैयार किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र ऐसा है जो इस तरह की प्रक्रिया से बनाए गए रिजल्ट से सहमत ना हो तो उसके पास स्थिति सामान्य होने पर परीक्षा देने का विकल्प रखा जाए.

ये भी पढ़ेंः देश में कोरोना के 2 लाख से कम नए केस, 3,511 मौत, जानें राज्यों के हाल

इसके अलावा उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में परीक्षा का स्वरूप कैसा होगा इसको लेकर भी चर्चा के लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाए. उन्होंने कहा कि परिस्थिति को देखते हुए अगले साल के लिए भी अभी से तैयारी शुरू करनी होगी.

ये भी पढ़ेंः ब्लैक फंगस के बारे में वह सबकुछ, जो आपको जानना है जरूरी

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( सीबीएसई ) ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा के आयोजन को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को एक पत्र लिखकर सुझाव दिया है. बता दें कि रविवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में 25 मई तक सुझाव देने के लिए कहा गया था. वहीं इस पत्र में उन्होंने बिना वैक्सीनेशन बच्चों को किसी भी परीक्षा में ना बुलाए जाने की बात कही है.

विकल्प संभव नहीं है तो परीक्षा रद्द कर दी जाए

साथ ही वैक्सीनेशन के संदर्भ में यह सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार फाइजर कंपनी से बात कर 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए एप्रूव्ड वैक्सीन खरीदे. साथ ही 17.5 वर्ष के ऊपर के छात्रों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड दी जा सकती है या नहीं, इसको लेकर एक्सपर्ट्स की राय लें. साथ ही कहा कि यदि यह दोनों विकल्प संभव नहीं है तो फिलहाल परीक्षा रद्द कर दी जाए.



वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को लिखे अपने पत्र में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि 12वीं की परीक्षा के संदर्भ में कोई निर्णय लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि आज भी हर रोज करीब 2.5 लाख कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. साथ ही तीसरी स्ट्रेन आने का भी खतरा है,जो बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है. ऐसे में परीक्षा का आयोजन छात्रों की जिंदगी जोखिम में डालना होगा.

बिना वैक्सीन छात्र को परीक्षा के लिए न बुलाएं

वहीं मनीष सिसोदिया ने कहा है कि बिना वैक्सीन के छात्रों को किसी भी परीक्षा के लिए न बुलाया जाए. उन्होंने कहा कि यदि फिर भी परीक्षा आयोजित करायी जाती है, तो उसके लिए भी दो सुझाव दिए हैं. पहला यह कि भारत सरकार एक्सपर्ट की यह राय ले कि भारत में बनी जो कोवैक्सीन और कोविशील्ड 18-44 वर्ष की आयु के लोगों को दी जा रही है, वह 17.5 वर्ष के छात्रों को दी जा सकती है या नहीं. साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार फाइजर कंपनी से तुरंत बात करे और उनसे 12 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों के लिए एप्रूव्ड वैक्सीन भारत लाएं.


3-4 सप्ताह में वैक्सीन कार्य हो सकता है पूरा

वहीं शिक्षा मंत्री का कहना है कि यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें एकजुट हो जाएं तो महज 3-4 सप्ताह में ही 12वीं के सभी शिक्षकों और छात्रों को वैक्सीन लगाने का काम पूरा किया जा सकता है. ऐसे में वैक्सीन लगाने के बाद ही परीक्षा आयोजित की जाए.

मूल्यांकन के लिए दिए यह सुझाव

वहीं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यदि किसी कारण से वैक्सीनेशन का विकल्प अभी संभव नहीं है तो इस सत्र कोई परीक्षा आयोजित ना कराई जाए. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि इस साल बोर्ड की परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए. वहीं जहां तक 12वीं क्लास के छात्रों के मूल्यांकन का सवाल है तो छात्रों ने स्कूल में 12 वर्ष बताए हैं.

ऐसे में उनके पूर्व शैक्षिक प्रदर्शनों यानी 10वीं की बोर्ड परीक्षा के परीक्षा परिणाम, 11वीं के परीक्षा परिणाम और 12वीं में स्कूल द्वारा आयोजित किए गए एसेसमेंट के आधार पर उनका रिजल्ट तैयार किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र ऐसा है जो इस तरह की प्रक्रिया से बनाए गए रिजल्ट से सहमत ना हो तो उसके पास स्थिति सामान्य होने पर परीक्षा देने का विकल्प रखा जाए.

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इसके अलावा उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में परीक्षा का स्वरूप कैसा होगा इसको लेकर भी चर्चा के लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाए. उन्होंने कहा कि परिस्थिति को देखते हुए अगले साल के लिए भी अभी से तैयारी शुरू करनी होगी.

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