नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग अंतर्गत गढ़वाली, कुमाउंनी एवं जौनसारी अकादमी द्वारा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया. जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल हुए. इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह कवि सम्मेलन देवभूमि उत्तराखंड की पीड़ा को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में भी ये सम्मेलन ऐतिहासिक कदम है.
गढ़वाल, कुमाऊं एंड जौनसारी में अकादमी की स्थापना
इस दौरान उपमुख्यमंत्री ने देवभूमि उत्तराखंड के कवियों की सराहना करते हुए उन्हें देवभूमि का भाषा एवं संस्कृति का ध्वजवाहक बताया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने देवभूमि की भाषा की अकादमी नहीं बनाई, लेकिन आपके सहयोग और प्रेरणा से दिल्ली सरकार ने गढ़वाली, कुमाउंनी एवं जौनसारी अकादमी की स्थापना की. साथ ही बताया कि दिल्ली सरकार उत्तराखंड में बनी बिजली से दिल्ली वासियों को 24 घंटे बिजली दे रही है. परंतु दुख की बात है कि उत्तराखंड के लोगों को बिजली नहीं मिल पा रही है.
'कविताओं के माध्यम से उत्तराखंड की आवाज उठाएं कवि'
कवि सम्मेलन में उपमुख्यमंत्री ने कवियों से कहा कि आपकी कविताओं में इलाज के अभाव में दम तोड़ती महिलाओं की आवाज भी सुनाई देनी चाहिए. यदि कवियों के संयुक्त आवाज से उत्तराखंड का निर्माण हो सकता है, तो कवियों की आवाज से साथ ही उत्तराखंड का विकास भी ही सकता है. इसलिए इस मंच से उत्तराखंड के लोगों की आवाज राष्ट्रीय स्तर पर उठाएं. देवभूमि के कवि वहां की महिलाओं, युवाओं, किसानों की आवाज की आवाज सामने लाएं.
'दिल्ली सरकार ने दिया अनेकता में एकता का संदेश'
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश के विभिन्न प्रांतों की सभी क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देकर दिल्ली सरकार ने अनेकता में एकता का संदेश दिया है. यह भारतीय गणतंत्र को मजबूत करने की दिशा में दिल्ली का बड़ा योगदान है. इस मौके पर गणतंत्र महोत्सव के तहत यह कार्यक्रम अकादमी के उपाध्यक्ष एमएस रावत की अध्यक्षता में हिंदी भवन सभागार में सम्पन्न हुआ. अकादमी के सचिव डाॅ. जीतराम भट्ट ने संचालन किया. उन्होंने गढ़वाली, कुमाउंनी एवं जौनसारी अकादमी की शुरुआत करने के लिए दिल्ली सरकार का आभार प्रकट किया.