नई दिल्ली: संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश आम बजट पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया है कि पहले की तरह फिर दिल्ली के साथ केंद्र ने सौतेला व्यवहार किया है. केजरीवाल ने ट्वीट किया है, "दिल्ली वालों के साथ फिर से सौतेला बर्ताव. दिल्ली वालों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ से ज़्यादा इनकम टैक्स दिया. उस में से मात्र 325 करोड़ रुपये दिल्ली के विकास के लिए दिए. ये तो दिल्ली वालों के साथ घोर अन्याय है."
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि इस बजट में महंगाई से कोई राहत नहीं है. उल्टे इससे महंगाई बढ़ेगी. बेरोजगारी दूर करने की कोई ठोस योजना नहीं है. शिक्षा बजट घटाकर 2.64 फीसदी से 2.5 फीसदी करना दुर्भाग्यपूर्ण है. स्वास्थ्य बजट घटाकर 2.2 फीसद से 1.98 फीसद करना हानिकारक है. केंद्रीय बजट से इस बार दिल्ली सरकार को काफी उम्मीद थी, लेकिन निराशा हाथ लगी. आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार का मानना है कि दिल्ली की दो करोड़ आबादी के साथ अभी तक सौतेला व्यवहार होता रहा है. जबकि, दिल्ली को बजट में केवल 325 करोड़ रुपए मिलते रहे हैं. इस बार केंद्रीय करों में से मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जबकि दिल्ली के लोग 1.75 लाख करोड़ रुपये का टैक्स केंद्र सरकार को देते हैं.
बजट पर तमाम राज्यों के वित्तमंत्री और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों से हुई बैठक में दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी केंद्र सरकार से बजट में दिल्ली को पर्याप्त फंड देने की मांग की थी. उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सिसोदिया का कहना है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल भी एक रुपए की बढ़ोतरी नहीं की थी. एमसीडी को एक रुपया नहीं दिया था. वहीं देश के अन्य नगर निगमों के लिए दो लाख करोड़ दिए गए थे. इस बार नगर निगम नए स्वरूप में काम करेगा. सरकार ने विभिन्न परियोजनाओं को गति देने के लिए मिलने वाली अतिरिक्त केंद्रीय सहायता को गत वर्ष शून्य कर दिया था. इस बार इस मद में कितना मिला है यह आंकड़ें स्पष्ट नहीं है. G 20 शिखर सम्मेलन होने हैं इस मद में दिल्ली सरकार को भी कई योजनाओं पर काम करना है.
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उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के बदले मिलने वाला अनुदान पिछले दो दशक से बिना बढ़ोतरी के केवल 325 करोड़ रुपये ही मिलता रहा है. दिल्ली को केंद्रीय करो में मिलने वाले हिस्सेदारी वर्ष 2001-02 से नहीं बढ़ाई गई है. जबकि, विभिन्न विकास से संबंधित परियोजनाओं को फंड देने के लिए दिल्ली भी केंद्रीय करों में अपनी हिस्सेदारी के बराबर हकदार है. केंद्र सरकार दिल्ली को मिलने वाले अनुदान ऋण और हस्तांतरण के बजट को कम कर दिया है. दिल्ली सरकार को इस बार उम्मीद थी कि कुल अनुदान, ऋण हमें मांग के अनुरूप मिले, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पहले दिल्ली सरकार को केंद्रीय बजट से कुल अनुदान या हस्तांतरण के रूप में 1116 करोड़ पर मिला था जिसे घटाकर पिछले वर्ष 957 करोड़ कर दिया गया है.
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