नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए नगर निगमों को फंड जारी करने के मामले में दिल्ली प्रदेश भाजपा ने एक बार फिर अरविंद केजरीवाल सरकार से फंड जारी करने की मांग की है. दिल्ली भाजपा महामंत्री हर्ष मल्होत्रा ने एक प्रेसवार्ता आयोजित कर कहा कि नगर निगमों के फंड जारी करने को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय के किए गए आदेश ने भाजपा के जरिए नगर निगमों के फंड के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को सत्यापित कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार को अब राजनीतिक द्वेष छोड़कर नगर निगमों का फंड जारी कर देना चाहिए.
निगमों के लगभग 13000 करोड़ रुपये बकाया
हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि भाजपा लगातार कहती रही है कि अपनी द्वेषपूर्ण राजनीति के चलते अरविंद केजरीवाल सरकार ने गत 6 वर्षों से नगर निगमों के संवैधानिक फडों में न तो चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिश अनुसार वृद्धि की है और न ही मुनिस्पिल रिफोर्म कमेटी की सिफारिशों के अनुसार वृद्धि की है. इसके अलवा हर साल अरविंद केजरीवाल सरकार बजट अनुसार तय नगर निगमों के फंड भी पूरे नहीं देती है. इसी सबके चलते नगर निगमों के लगभग 13000 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार के जरिए देय है.
दिल्ली सरकार की सभी दलीलों को खारिज किया
भाजपा महामंत्री ने कहा कि नगर निगमों ने अपने फंड के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में विभिन्न याचिकायें दायर की हैं. उन्हीं में से एक याचिका वर्तमान वित्त वर्ष के फंड को जारी करवाने की मांग को लेकर थी. उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला करते हुए दिल्ली सरकार की सभी दलीलों को खारिज किया है और आदेश किया है कि आगामी एक सप्ताह में तीनों नगर निगमों को उनका वित्त वर्ष 2020-21 के तय फंड का बकाया जो 991 करोड़ रुपये बैठता है, जारी करें.
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मल्होत्रा ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से न सिर्फ यह सत्यापित हुआ है कि अरविंद केजरीवाल सरकार राजनीतिक द्वेष से नगर निगमों के फंड रोके बैठी है. बल्कि यह भी साफ हो गया है कि दिल्ली वालों की नागरिक सुविधाओं की समस्या हो या फिर नगर निगम कर्मचारियों की वेतन समस्या, इस सबके लिए अरविंद केजरीवाल सरकार जिम्मेदार एवं जवाबदेह है.
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प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आज दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता के नेतृत्व में निगम नेताओं के जरिए चलाए गए आंदोलन की विजय हुई है. अब शीघ्र ही सरकार निगमों के शेष बकाया 12000 करोड़ रुपये देने को भी बाध्य होगी.