नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण आई बाढ़ के बाद केजरीवाल सरकार के दावों और वादों की पोल खुल गई. यमुना किनारे रहने वाले लोग आज भी बाढ़ राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. केजरीवाल सरकार के तरफ से भले ही मदद की जा रही है, लेकिन हालात अभी पूरी तरह से नहीं सुधरे है. वहीं, दिल्ली में बाढ़ की स्थिति के बाद भी सियासत जारी है.
दरअसल, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि बाढ़ की स्थिति के बाद हालात बहुत खराब हैं. दिल्ली सरकार इसे नियंत्रित करने में फेल है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए घोषित 10 हजार रुपए की राशि बहुत कम है. उन्हें जनता के सुख दुख से लेना देना नहीं है.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल घोषणा मुख्यमंत्री हैं जो सिर्फ झूठ बोलते हैं. वे सिर्फ इतना ही बता दें कि उन्होंने आजतक कितने लोगों को 10,000 रुपए की सहायता राशि दी. अरविंद केजरीवाल का केवल एक ही काम है, दूसरों पर गलत आरोप लगाना और अपनी जिम्मेदारी से भागना. दिल्ली में आई बाढ़ के कारण कई मौतें हुईं, इसलिए केजरीवाल को मुख्यमंत्री बने रहने का कोई हक नहीं है. जब दिल्ली में बाढ़ आई तो उन्होंने हरियाणा सरकार को दोषी ठहरा दिया, क्योंकि दिल्ली में बाढ़ रोकने के लिए केजरीवाल ने कई काम ही नहीं किया था.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरे पर फोड़ने वाले अरविंद केजरीवाल, जब दिल्ली में पानी की कमी होती है तो हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं और जब दिल्ली में बाढ़ आती है तो भी हरियाणा सरकार को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. आखिर वे अपनी जिम्मेदारियों से क्यों भागते हैं. सीएम केजरीवाल ने बाढ़ पीड़ितों के लिए 10 हजार रुपए की सहायता राशि का ऐलान किया, लेकिन अगर उन्होंने आकलन किया होता तो पता चलता कि यह राशि कितनी कम है. 2016 में उन्हीं की कैबिनेट ने एक फैसला लिया था कि आपदा आने पर झुग्गीवासियों को कम से कम 25 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाएगी.
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वहीं, दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली की जनता बाढ़ की स्थिति से परेशान थी और सीएम केजरीवाल पॉलिटिकल टूर में व्यस्त थे. उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री विधानसभा में मानसून सत्र बुलाएं और दिल्ली में आई बाढ़ पर चर्चा करें.
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