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20 करोड़ फंड के बावजूद 8 साल में भी दिल्ली विधानसभा नहीं हो पाई डिजिटलाइज

दिल्ली विधानसभा के डिजिटलाइज करने की धीमी गति पर केंद्र सरकार ने नाराजगी जाहिर की है. साथ ही संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने उपराज्यपाल सचिवालय को पत्र लिखकर काम तेज करने को कहा है.

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Published : Jul 20, 2023, 9:24 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा को डिजिटलाइज करने की योजना में देरी को लेकर केंद्र सरकार ने नाराजगी जताई है. इस मामले में देरी और निष्क्रियता के मद्देनजर संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने उपराज्यपाल सचिवालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप कर राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) परियोजना को क्रियान्वित करने का आग्रह किया है. साथ ही इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए धन का इस्तेमाल करने का भी अनुरोध किया है.

एलजी सचिवालय ने केंद्र सरकार के इस आग्रह को दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (कानून, न्याय एवं विधि मामले) के पास उचित कार्रवाई करने के लिए अग्रसारित कर दिया है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली विधानसभा को छोड़कर देश की सभी 37 विधानसभाओं/परिषदों ने सदन के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को या तो पहले ही लागू कर दिया है या इसे शुरू कर दिया है. इससे पहले फरवरी में संसदीय कार्य मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर Neva परियोजना को पूरा करने के लिए कहा था.

बचत का पैसा जनता की सुविधा पर होगा खर्चः मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली की विधानसभा में NeVa परियोजना को लागू करने के लिए 100 फीसद फंड दे रही है. इसमें विधानसभा के डिजिटलाइजेशन के लिए मेंटेनेंस, अपग्रेडेशन, एप्लीकेशन के लिए कस्टमाइजेशन, कैपिसिटी बिल्डिंग, क्लाउड डिप्लॉयमेंट चार्ज और सिक्योरिटी ऑडिट के लिए चार्ज भी शामिल है. चूंकि NeVa एक प्रक्रिया आधारित एप्लीकेशन है, इसलिए विधानसभा को चलाने में समय-समय पर जो पैसा खर्च होता है, वह बहुत कम हो जाएगा. इससे जो बचत होगी, उससे दिल्ली सरकार अपनी सुविधा के हिसाब से जनता और विधायकों पर खर्च कर सकेगी.

2019 में अलग होने का लिया था निर्णयः 2019 में दिल्ली सरकार ने NeVa परियोजना से अलग होने का निर्णय लिया था. उस समय उसने कहा था कि 20 करोड़ की लागत से ई-विधान परियोजना को दिल्ली सरकार अपने बजट से विकसित करेगी. दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने 13 मई 2020 को दिल्ली के कानून मंत्री कैलाश गहलोत को लिखे अपने पत्र में स्वीकार किया था कि दिल्ली विधानसभा को तत्काल डिजिटलाइजेशन की जरूरत है और इससे विधानसभा को पेपरलेस करने के अलावा अन्य और कई फायदे होंगे. हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार 2019 ने इस परियोजना पर कुछ नहीं किया है.

क्या है परियोजनाः 2015 में देश की विधानसभाओं को डिजिटलाइजेशन करने के लिए महत्वाकांक्षी नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (NeVA) परियोजना लाई गई थी. इसके तहत देश की सभी विधानसभाओं में कामकाज को डिजिटल और पेपरलेस बनाना था. लेकिन 8 साल बीत जाने के बावजूद अब तक दिल्ली विधानसभा में इसे लागू नहीं किया गया. दिल्ली विधानसभा देश की एकमात्र ऐसी विधानसभा है जहां ई-विधान एप्लीकेशन परियोजना को लागू करने की दिशा में अब तक कोई शुरुआत तक नहीं की गई है.

इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौ प्रतिशत फंड मुहैया कराया जा रहा था लेकिन 2019 में आप सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाली आर्थिक और तकनीकी मदद लेने से इनकार कर दिया. इसके बजाय वह 20 करोड़ की लागत से इस परियोजना को विकसित करने का संकल्प लिया था.

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा को डिजिटलाइज करने की योजना में देरी को लेकर केंद्र सरकार ने नाराजगी जताई है. इस मामले में देरी और निष्क्रियता के मद्देनजर संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने उपराज्यपाल सचिवालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप कर राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) परियोजना को क्रियान्वित करने का आग्रह किया है. साथ ही इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए धन का इस्तेमाल करने का भी अनुरोध किया है.

एलजी सचिवालय ने केंद्र सरकार के इस आग्रह को दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (कानून, न्याय एवं विधि मामले) के पास उचित कार्रवाई करने के लिए अग्रसारित कर दिया है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली विधानसभा को छोड़कर देश की सभी 37 विधानसभाओं/परिषदों ने सदन के डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को या तो पहले ही लागू कर दिया है या इसे शुरू कर दिया है. इससे पहले फरवरी में संसदीय कार्य मंत्रालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर Neva परियोजना को पूरा करने के लिए कहा था.

बचत का पैसा जनता की सुविधा पर होगा खर्चः मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली की विधानसभा में NeVa परियोजना को लागू करने के लिए 100 फीसद फंड दे रही है. इसमें विधानसभा के डिजिटलाइजेशन के लिए मेंटेनेंस, अपग्रेडेशन, एप्लीकेशन के लिए कस्टमाइजेशन, कैपिसिटी बिल्डिंग, क्लाउड डिप्लॉयमेंट चार्ज और सिक्योरिटी ऑडिट के लिए चार्ज भी शामिल है. चूंकि NeVa एक प्रक्रिया आधारित एप्लीकेशन है, इसलिए विधानसभा को चलाने में समय-समय पर जो पैसा खर्च होता है, वह बहुत कम हो जाएगा. इससे जो बचत होगी, उससे दिल्ली सरकार अपनी सुविधा के हिसाब से जनता और विधायकों पर खर्च कर सकेगी.

2019 में अलग होने का लिया था निर्णयः 2019 में दिल्ली सरकार ने NeVa परियोजना से अलग होने का निर्णय लिया था. उस समय उसने कहा था कि 20 करोड़ की लागत से ई-विधान परियोजना को दिल्ली सरकार अपने बजट से विकसित करेगी. दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने 13 मई 2020 को दिल्ली के कानून मंत्री कैलाश गहलोत को लिखे अपने पत्र में स्वीकार किया था कि दिल्ली विधानसभा को तत्काल डिजिटलाइजेशन की जरूरत है और इससे विधानसभा को पेपरलेस करने के अलावा अन्य और कई फायदे होंगे. हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार 2019 ने इस परियोजना पर कुछ नहीं किया है.

क्या है परियोजनाः 2015 में देश की विधानसभाओं को डिजिटलाइजेशन करने के लिए महत्वाकांक्षी नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (NeVA) परियोजना लाई गई थी. इसके तहत देश की सभी विधानसभाओं में कामकाज को डिजिटल और पेपरलेस बनाना था. लेकिन 8 साल बीत जाने के बावजूद अब तक दिल्ली विधानसभा में इसे लागू नहीं किया गया. दिल्ली विधानसभा देश की एकमात्र ऐसी विधानसभा है जहां ई-विधान एप्लीकेशन परियोजना को लागू करने की दिशा में अब तक कोई शुरुआत तक नहीं की गई है.

इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौ प्रतिशत फंड मुहैया कराया जा रहा था लेकिन 2019 में आप सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाली आर्थिक और तकनीकी मदद लेने से इनकार कर दिया. इसके बजाय वह 20 करोड़ की लागत से इस परियोजना को विकसित करने का संकल्प लिया था.

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