नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर (Delhi pollution level rises) के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर अत्यंत खराब और गंभीर श्रेणी (300-400 AQI) में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ्य से संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी और अत्यंत खराब श्रेणी में बरकरार है. Average Air Quality Index in Delhi
- दिल्ली
अलीपुर- 391
शादीपुर- 411
डीटीयू दिल्ली- 332
आईटीओ दिल्ली- 302
सिरिफोर्ट- 307
मंदिर मार्ग- 337
आरके पुरम- 348
पंजाबी बाग- 351
लोधी रोड- 275
नॉर्थ केंपस डीयू- 355
सीआरआरआई मथुरा रोड- 270
पूसा- 278
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3- 280
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम- 307
नेहरू नगर- 348
द्वारका सेक्टर 8- 338
पटपड़गंज- 321
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज- 301
अशोक विहार- 319
सोनिया विहार- 322
जहांगीरपुरी- 365
रोहिणी- 368
विवेक विहार- 400
नजफगढ़- 280
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम- 311
नरेला- 354
ओखला फेस टू- 366
वजीरपुर- 363
बवाना- 363
श्री औरबिंदो मार्ग- 304
मुंडका- 383
आनंद विहार- 395
IHBAS दिलशाद गार्डन- 326
० गाजियाबाद
वसुंधरा- 384
इंदिरापुरम- 299
संजय नगर- 280
लोनी- 315
० नोएडा
सेक्टर 62- 434
सेक्टर 125- 288
सेक्टर 1- 291
सेक्टर 116- 345
० Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
० (PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.
० Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.