नई दिल्ली: दिल्ली का साकेत कोर्ट, मुजफ्फपुर शेल्टर होम मामले पर 14 नवंबर को फैसला सुनाएगा. पिछले 30 सितंबर को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से कहा था कि नाबालिग पीड़ितों के बयानों से साफ है कि सभी 21 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. अभियुक्तों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई ने निष्पक्ष जांच नहीं की है. उनका कहना है कि सभी केस भ्रमपूर्ण हैं, न कोई घटना की तिथि है और न ही समय और स्थान.
25 फरवरी को शुरू हुई थी सुनवाई
साकेत कोर्ट ने 25 फरवरी से सुनवाई शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली के साकेत कोर्ट में ट्रांसफर की थी. कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए.
30 मार्च को आरोप तय
30 मार्च को कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे. कोर्ट ने आरोपियों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक साजिश, पॉस्को एक्ट की धारा 3, 5 और 6 सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. इस मामले में मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
इन्हें बनाया गया है आरोपी
इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर, शाइस्ता प्रवीण उर्फ मधु, मोहम्मद साहिल उर्फ विक्की, ब्रजेश ठाकुर का चाचा रामानुज, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा, शेल्टर होम के मैनेजर रामाशंकर सिंह, अश्विनी कुमार और कृष्णा कुमार राम शामिल हैं.