नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा महिला सुरक्षा पर दिए गए बयान के बाद से पोक्सो एक्ट का मुद्दा गरम है. जिसके बाद ईटीवी भारत ने दिल्ली बाल संरक्षण अधिकार आयोग से पोक्सो एक्ट को लेकर डाटा इकट्ठा किया.
जिससे पता चला कि ऐसे मामलों को लेकर लोगों में जागरूकता फैली है और शिकायतें बढ़ी है.
डीसीपीसीआर ने जारी किया डाटा
डीसीपीसीआर द्वारा साल 2017, 2018 और 2019 का डाटा दिया गया. जिसमें पता लगा कि साल 2017 में डीसीपीसीआर में 126 मामले दर्ज हुए. वही 2018 में 116, इसके साथ ही 2019 में 10 दिसंबर तक 79 मामले पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत देखने को मिले.
लोगों में अभी भी जागरूकता की कमी
डीसीपीसीआर द्वारा जारी किए गए इस डाटा के आधार पर यही सिद्ध होता है, कि ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं जिसमें कि कहीं ना कहीं अभी भी लोगों में डर है और वह इन मामलों को लेकर खुलकर शिकायत नहीं करते.
महिला सुरक्षा को लेकर दिया था बयान
वहीं राष्ट्रपति द्वारा पोक्सो एक्ट में दया याचिका के प्रावधान को खत्म करने को लेकर दिया गए बयान को महत्वपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि जिस प्रकार महिला सुरक्षा का मुद्दा इस वक्त देश में काफी गरमाया हुआ है. जिसके आधार पर हर कोई सरकार से इस पर सख्त कानून बनाने की मांग कर रहा है.
दया याचिका पर समीक्षा करे संसद
राष्ट्रपति ने कहा था कि पोक्सो अधिनियम के तहत दुष्कर्म के दोषियों को दया याचिका करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए. संसद को दया याचिका की समीक्षा करनी चाहिए. राष्ट्रपति का बयान ऐसे वक्त में सामने आया था जब हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हैवानियत की गई थी.