नई दिल्ली: राजधानी में मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित संस्कार भारती कला संकुल में सांस्कृतिक संगोष्ठी हुई. इसमें लोक गायक बीके सामंत ने अपने गीतों के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया. बताया कि कुमाऊंनी शैली में शृंगार रस के 'थल की बाजार' गाने का नेपाली वर्जन जल्द बाजार में आने वाला है. संगोष्ठी के दौरान उन्होंने श्रोताओं को अपने इस नए 'थल की बाजार' गाने के नेपाली संसकरण की दो पंक्तियां भी सुनाई.
उन्होंने संगोष्ठी में अपने संगीत के सफर को दर्शकों के साथ साझा किया. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी के स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में देशभर के राज्यों के लोकगीतों पर नृत्य हुआ, लेकिन उत्तराखंड का एक भी लोक गीत प्रस्तुत नहीं किया गया. इसी के बाद उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण और पहाड़ संरक्षण जैसे तमाम मुद्दों पर गाने लिखने और गाने शुरू कर दिए.
वहीं, ईटीवी भारत से उन्होंने बताया कि अभी तक वह 15 कुमाऊंनी लोकगीत लिख कर गा चुके हैं. वे बॉलीवुड में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं, हालांकि उनके गीतों को किसी और ने गाया है. देशभर में कई संगोष्ठियों के सफल आयोजन के बाद उन्होंने मंगलवार को दिल्ली में पहली बार संगोष्ठी का आयोजन किया.
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बता दें, बीके सामंत मुख्य रूप से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम से जुड़े हैं. इसलिए उन्होंने संगोष्ठी में आए सभी लोगों से कहा कि अगर आप कभी भी पहाड़ों पर जाएं, एक बांज (ओक) का पेड़ जरूर लगाएं, जिसका उन्होंने महत्व भी बताया. सामंत ने कहा कि अभी तक पहाड़, नदी और पर्यावरण को बचाने को लेकर कम ही गाने लिखे और गाए गए हैं. मेरा उद्देश्य पहाड़ की संस्कृति को बचाना है और मैंने संगीत को अपनी बात कहने का माध्यम चुना है.
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