नई दिल्ली: तमिलनाडु से रामेश्वरम के बीच मन्नार की खाड़ी में देश का पहला हाइड्रोलिक रेल ब्रिज "पंबन ब्रिज" फरवरी 2024 से शुरू हो सकता है. समुद्र के ऊपर बना यह ऐसा ब्रिज है जो हाइड्रोलिक के जरिए ऊपर नीचे होगा. किसी क्रूजर जहाज के आने पर यह ब्रिज ऊपर हो जाएगा और ट्रेन के आने पर यह ब्रिज रेलवे ट्रैक से आकर जुड़ जाएगा, जिसके ऊपर से आसानी से ट्रेन गुजर सकेगी. वर्ष 2019 से इस ब्रिज का निर्माण हो रहा है. दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे 42वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में इसका मॉडल प्रदर्शित किया गया है. पंबन ब्रिज किस तरह काम करेगा मॉडल के जरिए दिखाया गया.
मौजूदा पंबन रेलवे ब्रिज 2.06 किमी लंबा है: दरसल, रामेश्वरम द्वीप के लिए सन 1914 में एक रेलवे ब्रिज बनाया गया था, जो एक शताब्दी से अधिक पुराना हो गया है. जो जहाज के आने-जाने के दौरान गेटवे का काम करता था. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा पंबन रेलवे ब्रिज 2.06 किमी लंबा है और इसमें 12.2 मीटर के 145 स्पैन है. ग्रेट पंबन ब्रिज दुनिया भर के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है. पुल पुराना हो जाने के कारण नए ब्रिज के निर्माण की जरूरत पड़ी.
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2024 तक ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा: वर्ष 2019 में रामेश्वरम के लिए समुद्र के ऊपर यह ब्रिज बनाने का कार्य शुरू हुआ. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक यहां पर सुनामी और समुद्री तूफान आने का खतरा बना रहता है ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक से यह ब्रिज बनाया जा रहा है जिससे सुनामी और समुद्री तूफान का इस ब्रिज पर कोई असर न पड़े. पंबन रेलवे ब्रिज की लंबाई 2.08 किलोमीटर है. इस पर दो लाइनें हैं. 545 करोड़ रुपए की लागत से इस ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. तमिलनाडु राज्य में स्थित यह पुल दक्षिणी रेलवे के मदुरै डिवीजन के अधिकार क्षेत्र में आता है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि फरवरी 2024 तक इस रेल रूट पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा. इससे रामेश्वरम जाने वाले श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी.
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नए पंबन ब्रिज की खासियत
- नए पंबन ब्रिज में 18.3 मीटर के 99 स्पैन और 72.5 मीटर क्लियर स्पैन का एक ऊर्ध्वाधर लिफ्ट स्पैन शामिल है.
- नए पुल पर दो रेल लाइनों का निर्माण किया गया है, जिससे ट्रेनों के आवागमन में कोइ परेशानी नहीं होगी.
- स्पैन के लिए स्टील प्लेट गर्डर, नेविगेशनल स्पैन के लिए ओपन वेब गर्डर और टॉवर का निर्माण कार्यशाला में कर लॉन्चिंग के लिए ब्रिज पर ले जाया जाता है.
- रेलवे पुल के एक से दूसरी तरफ जहाजों की आवाजाही के लिए, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम से नेविगेशनल स्पैन को 17 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जा सकता है.
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