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बस खरीद में दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप, एसीबी को शिकायत - delhi government corruption in bus purchase

दिल्ली सरकार द्वारा एक हजार बस की खरीद एवं मेंटेनेंस टेंडर में भाजपा विधायक दल ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उन्होंने इस मामले की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को दी है.

delhi government bus purchase
बस खरीद में दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप
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Published : Mar 17, 2021, 9:07 AM IST

नई दिल्ली: बीजेपी विधायकों ने दिल्ली सरकार पर बस खरीद और मेंटनेंस टेंडर में भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. एसीबी को दी गई शिकायत में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा 1000 लो फ्लोर सीएनजी बसें खरीदने का वर्क आर्डर दो कंपनियों को जारी किया गया था. जेबीएम कंपनी से 700 बसें और टाटा कंपनी से 300 बसें 875 करोड़ रुपए में खरीदी गई हैं. इसके साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा एक वार्षिक रखरखाव टेंडर किया गया, जिसमें इन्हीं दोनों कंपनियों के साथ बसों के वार्षिक रखरखाव के लिए अनुबंध किया गया है. 45 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से 1000 बसों को कुल 3500 करोड रुपए का भुगतान किया जाएगा. इस खरीद में बीजेपी विधायकों ने भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कंपनी को विशेष लाभ पहुंचाने के लिए उसी प्रकार का टेंडर जारी करने का आरोप लगाया है.

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए
भाजपा विधायकों द्वारा की गई शिकायत में कहा गया है कि जब वार्षिक रखरखाव का टेंडर निकाला गया तो उसमें कहीं भी वार्षिक रखरखाव की अनुमानित राशि का जिक्र नहीं किया गया. टेंडर निकाले बगैर ही परिवहन विभाग ने वार्षिक रखरखाव की कोई अनुमानित राशि निकाले बिना ही टेंडर और वर्क आर्डर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई जो इस मामले में हुए भ्रष्टाचार की गंभीरता को और अधिक बल देता है. 11 मार्च 2021 को सदन की बैठक में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने यह जानकारी दी कि जो वार्षिक रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट है उसमें 71 काम कंपनियां वार्षिक रखरखाव के अनुबंध में करेंगी. जबकि इन कामों का जिक्र न तो दस्तावेजों में है और ना ही कहीं अनुबंध में इस तरह की स्थिति दिखाई दी है.

पढ़ें-पीएम मोदी ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर बुलाई मुख्यमंत्रियों की बैठक

एफआईआर दर्ज करने की मांग
भाजपा विधयकों द्वारा की गई शिकायत में कहा गया है कि 875 करोड़ रुपए में 1000 लो फ्लोर बस खरीदने का करार किया गया. कुछ समय पश्चात इन बसों के वार्षिक रखरखाव अनुबंध के लिए टेंडर निकाला गया जिसमें बसों के रखरखाव को लेकर 3500 करोड़ का अनुबंध किया गया. जब इन बसों में रखरखाव के लिए 3 साल की वारंटी है तो उसी अवधि में वार्षिक रखरखाव के लिए उन्हीं कंपनियों को एक हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त क्यों दिए जा रहे हैं. बीजेपी के 8 विधायकों द्वारा यह शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

नई दिल्ली: बीजेपी विधायकों ने दिल्ली सरकार पर बस खरीद और मेंटनेंस टेंडर में भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. एसीबी को दी गई शिकायत में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा 1000 लो फ्लोर सीएनजी बसें खरीदने का वर्क आर्डर दो कंपनियों को जारी किया गया था. जेबीएम कंपनी से 700 बसें और टाटा कंपनी से 300 बसें 875 करोड़ रुपए में खरीदी गई हैं. इसके साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा एक वार्षिक रखरखाव टेंडर किया गया, जिसमें इन्हीं दोनों कंपनियों के साथ बसों के वार्षिक रखरखाव के लिए अनुबंध किया गया है. 45 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से 1000 बसों को कुल 3500 करोड रुपए का भुगतान किया जाएगा. इस खरीद में बीजेपी विधायकों ने भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कंपनी को विशेष लाभ पहुंचाने के लिए उसी प्रकार का टेंडर जारी करने का आरोप लगाया है.

भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए
भाजपा विधायकों द्वारा की गई शिकायत में कहा गया है कि जब वार्षिक रखरखाव का टेंडर निकाला गया तो उसमें कहीं भी वार्षिक रखरखाव की अनुमानित राशि का जिक्र नहीं किया गया. टेंडर निकाले बगैर ही परिवहन विभाग ने वार्षिक रखरखाव की कोई अनुमानित राशि निकाले बिना ही टेंडर और वर्क आर्डर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई जो इस मामले में हुए भ्रष्टाचार की गंभीरता को और अधिक बल देता है. 11 मार्च 2021 को सदन की बैठक में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने यह जानकारी दी कि जो वार्षिक रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट है उसमें 71 काम कंपनियां वार्षिक रखरखाव के अनुबंध में करेंगी. जबकि इन कामों का जिक्र न तो दस्तावेजों में है और ना ही कहीं अनुबंध में इस तरह की स्थिति दिखाई दी है.

पढ़ें-पीएम मोदी ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर बुलाई मुख्यमंत्रियों की बैठक

एफआईआर दर्ज करने की मांग
भाजपा विधयकों द्वारा की गई शिकायत में कहा गया है कि 875 करोड़ रुपए में 1000 लो फ्लोर बस खरीदने का करार किया गया. कुछ समय पश्चात इन बसों के वार्षिक रखरखाव अनुबंध के लिए टेंडर निकाला गया जिसमें बसों के रखरखाव को लेकर 3500 करोड़ का अनुबंध किया गया. जब इन बसों में रखरखाव के लिए 3 साल की वारंटी है तो उसी अवधि में वार्षिक रखरखाव के लिए उन्हीं कंपनियों को एक हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त क्यों दिए जा रहे हैं. बीजेपी के 8 विधायकों द्वारा यह शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को देकर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

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