नई दिल्लीः दिल्ली हिंसा को लेकर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट का अध्यन करने के लिए कांग्रेस ने एक कमेटी गठित की थी. कमेटी के एक सदस्य महमूद जिया ने ईटीवी भारत से बात करते हुए फाइंडिंग रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि 133 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के बाद अहसास होता है कि ये रिपोर्ट दिल्ली सरकार ने तैयार कराई है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पास अदालती कार्रवाई करने का अधिकार है. आयोग चाहता तो हिंसा पीड़ित क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज मंगा सकता था. डीएम और एसडीएम से हालात की रिपोर्ट ले सकता था. दंगों के दौरान आयोग बहुत कुछ कर सकता था. जो नहीं किया गया. महमूद जिया ने कहा कि दंगे किस ने कराए, कौन कौन इसमें शामिल था. इसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते. लेकिन मीडिया के जरिए लगातार मुसलमानों को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
दिल्ली सरकार पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जो तबलीगी जमात पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश देती है. क्यों उसने कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर के आदेश नहीं दिए. उन्होंने कहा कि कपिल मिश्रा के खिलाफ यदि समय रहते कार्रवाई की जाती, तो दंगे रुक सकते थे. केजरीवाल चाहते तो पुलिस मुख्यालय का घेराव कर कर सकते थे. एलजी से मिलट्री लगाने की सिफारिश कर सकते थे, लेकिन वह बस गांधी जी की समाधी पर जाकर बैठ गए.
महमूद जिया ने कहा कि सरकार ये कह के कि उसके अधिकार में पुलिस नहीं है. अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकती. दिल्ली दंगों मे 53 लोग मारे गए. एक 80 साल के बुजुर्ग महिला और एक बच्चे को जिंदा जला दिया गया.