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उत्तराखंड में सशक्त भू कानून बनाने की मांग, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन - r demanding strong land law in Uttarakhand

उत्तराखंड में सशक्त भू कानून (Land Law In Uttarakhand) बनाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है. इसी के मद्देनजर मंगलवार को Jantar Mantar पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं सहित सामाजिक संगठनों के लोगों ने प्रदर्शन किया.

Congress party protest at Jantar Mantar demanding strong land law in Uttarakhand
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
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Published : Jul 20, 2021, 3:52 PM IST

नई दिल्ली : उत्तराखंड में सशक्त भू कानून (Land Law In Uttarakhand) बनाने और वनों पर अपने पुश्तैनी हक की मांग को लेकर Congress पार्टी के नेताओं सहित सामाजिक संगठनों के लोगों ने Jantar Mantar पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि उत्तराखंड में लागू मौजूदा भू कानून राज्य के लिए मुफीद नहीं हैं, जिसका फायदा उठाकर दूसरे राज्यों के लोग यहां जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं.

वन अधिकार आंदोलन के संस्थापक और उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखंड के लोगों के संघर्ष, समर्पण और बलिदान के कारण उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है. राज्य की भूमि का मात्र 9% भाग ही वहां के निवासियों के काम आता है, जबकि बाकी की जमीन राष्ट्र को समर्पित है. यह हम सबके लिए चिंता का विषय है कि अन्य हिमालई राज्यों के लिए स्थानीय आवश्यकतानुसार भू कानून बनाए गए, लेकिन उत्तराखंड भू कानून से वंचित रह गया.

कांग्रेस नेताओं किया जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

उत्तराखंड के निवासियों के लिए जंगल ही जिंदगी थी और जंगलों पर ही वे जीवन यापन करते थे. वन कानून को बनाते वक्त इस तथ्य की अनदेखी की गई और वहां के निवासियों को वनों पर पुश्तैनी हक और अधिकारों से वंचित कर दिया गया.

ये भी पढ़ें-संसद घेराव की योजना नहीं, जंतर-मंतर पर लगेगी किसान संसद : BKU

उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि उत्तराखंड के निवासियों की तरफ UPA government ने ध्यान दिया था और वन अधिकार कानून 2006 अस्तित्व में आया था. जिसमें वनों पर आधारित समुदायों को उनके वनों पर सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकारों को वापस देने की गारंटी दी गई है. इसलिए हम केंद्र और राज्य सरकार दोनों से यह आग्रह करते हैं कि जनहित में उत्तराखंड के लिए भू कानून बनाया जाए और वहां के निवासियों को उनके वनों पर सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकार को बहाल किया जाए.

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नई दिल्ली : उत्तराखंड में सशक्त भू कानून (Land Law In Uttarakhand) बनाने और वनों पर अपने पुश्तैनी हक की मांग को लेकर Congress पार्टी के नेताओं सहित सामाजिक संगठनों के लोगों ने Jantar Mantar पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि उत्तराखंड में लागू मौजूदा भू कानून राज्य के लिए मुफीद नहीं हैं, जिसका फायदा उठाकर दूसरे राज्यों के लोग यहां जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं.

वन अधिकार आंदोलन के संस्थापक और उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखंड के लोगों के संघर्ष, समर्पण और बलिदान के कारण उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ है. राज्य की भूमि का मात्र 9% भाग ही वहां के निवासियों के काम आता है, जबकि बाकी की जमीन राष्ट्र को समर्पित है. यह हम सबके लिए चिंता का विषय है कि अन्य हिमालई राज्यों के लिए स्थानीय आवश्यकतानुसार भू कानून बनाए गए, लेकिन उत्तराखंड भू कानून से वंचित रह गया.

कांग्रेस नेताओं किया जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

उत्तराखंड के निवासियों के लिए जंगल ही जिंदगी थी और जंगलों पर ही वे जीवन यापन करते थे. वन कानून को बनाते वक्त इस तथ्य की अनदेखी की गई और वहां के निवासियों को वनों पर पुश्तैनी हक और अधिकारों से वंचित कर दिया गया.

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उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि उत्तराखंड के निवासियों की तरफ UPA government ने ध्यान दिया था और वन अधिकार कानून 2006 अस्तित्व में आया था. जिसमें वनों पर आधारित समुदायों को उनके वनों पर सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकारों को वापस देने की गारंटी दी गई है. इसलिए हम केंद्र और राज्य सरकार दोनों से यह आग्रह करते हैं कि जनहित में उत्तराखंड के लिए भू कानून बनाया जाए और वहां के निवासियों को उनके वनों पर सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकार को बहाल किया जाए.

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