नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को उच्चस्तरीय बैठक की. इसके बाद उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों पर घबराने की जरूरत नहीं है. किसी भी स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली की तैयारी पुख्ता है. 15 मार्च तक दिल्ली में कोरोना के काफी कम मामले थे, लेकिन 15 दिन के भीतर जिस तरह से इसमें बढ़ोतरी हुई है. वह चिंताजनक है.
उन्होंने बताया कि 10 व 11 अप्रैल को दिल्ली के अस्पतालों में तैयारियों को लेकर मॉक ड्रिल किया जाएगा. हर अस्पताल के अंदर आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि किसी को अगर गंभीर बीमारी है और उसे कोरोना हो गया तो उसका इलाज वहीं हो सके. इन्फ्लूएंजा वाले जितने मामले सामने आ रहे हो उसमें 5 फीसदी लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है.
XBB 1.16 वेरिएंट के आधे मामलेः सीएम ने कहा कि इस वक्त जितने भी कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं, हम उन सभी मामलों की जिनोम सीक्वेंसिंग करा रहे हैं. इससे कोई भी नया वेरिएंट सामने आता है तो हमें पहले से पता चल जाएगा. इस वक्त कुल मामलों में 46 फीसदी मामले XBB 1.16 वेरिएंट के आ रहे हैं. यह काफी तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह गंभीर नहीं है और न ही इसमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है.
मास्क अनिवार्य नहींः उन्होंने कहा कि हमने सभी चिकित्सा अधिकारियों और वैज्ञानिकों से भी बातचीत की है. इस बारे में केंद्र सरकार की तरफ से भी हमें कोई सलाह नहीं मिली है, इसलिए अभी मास्क की अनिवार्यता नहीं है. फिलहाल इसे सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों और जिन लोगों में इंफ्लूएंजा की शिकायत या सर्दी-जुखाम की चपेट में आए लोगों को पहनना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुवार को कोरोना के 295 मामले सामने आए थे और अभी तक कुल 3 लोगों की मौतें हुई हैं. यह वे तीन लोग हैं जो पहले से गंभीर बीमारी से पीड़ित थे. इनमें से एक का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था जबकि दो अन्य मरीज तीन महीने से हॉस्पिटल में एडमिट थे. यह कहना कि उनकी कोरोना से मौत हो गई, यह गलत होगा. इनमें से दो दिल्ली से बाहर रहने वाले थे.
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टेस्ट की संख्या बढ़ाएंगेः मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मिड फरवरी तक हम दिल्ली में सात-आठ जगहों से लोगों के रैंडम सैंपल लेते थे और उसकी जांच करते थे. तब तक संक्रमण दर काफी कम थी. लेकिन पिछले 15 दिनों में कोरोना के मामले बढ़े हैं, जिसे लेकर हमारे 7986 बैड तैयार है. इनमें ऑक्सीजन वाले बेड, वेंटीलेटर और आईसीयू वाले बेड भी हैं. साथ ही सरकारी लैब में 4,000 आरटीपीसीआर टेस्ट करने की क्षमता है और निजी लैब में एक लाख से भी अधिक टेस्ट किया जा सकता है. आने वाले समय में जरूरत पड़ी तो टेस्ट की संख्या को और बढ़ाया जाएगा.
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