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दिल्ली हिंसा: सभी को समाज में घट रही घटनाओं को जानने का अधिकार- दिल्ली पुलिस

पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगना कलीता की याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि नागरिकों और पत्रकारों का ये अधिकार है कि वे ये जानें कि समाज में क्या हो रहा है.

Delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Jul 7, 2020, 8:46 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगना कलीता की उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कलीता ने कहा है कि क्राइम ब्रांच आरोपों के संबंध में कुछ खास सूचनाएं मीडिया को लीक कर रही है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकों और पत्रकारों का ये अधिकार है कि वे ये जानें कि समाज में क्या हो रहा है. इस मामले पर हाईकोर्ट 9 जुलाई को सुनवाई करेगा.

नागरिकों और पत्रकारों को समाज में घट रही घटनाओं को जानने का अधिकार- दिल्ली पुलिस
मीडिया कैंपेन चलाने का आरोप

दिल्ली पुलिस ने कहा कि देवांगना कलीता ने मीडिया कैंपेन चलाकर आम लोगों की सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की. ऐसा कर कलीता ने निष्पक्ष ट्रायल में बाधा डालने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस ने कहा कि 2 जून को जो संक्षिप्त नोट जारी किया गया, वो आम लोगों और पत्रकारों को जानने के अधिकार के तहत था. राजनीतिक अभियान चलाया जा रहा था कि पुलिस एक खास समुदाय को निशाना बना रही है. इस परिस्थिति में लोगों को जानकारी देना जांच एजेंसी के लिए जरुरी था.

आरोपों के बारे में मीडिया से साझा नहीं करने का निर्देश

पिछले 11 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वो देवांगना कलीता या किसी दूसरे आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से संबंधित आरोपों और साक्ष्यों से संबंधित सूचना किसी व्यक्ति, मीडिया या सोशल मीडिया से साझा नहीं करें. देवांगना कलीता के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज किए हैं. दो एफआईआर जाफराबाद थाने में दर्ज किए गए हैं. जबकि एक एफआईआर क्राइम ब्रांच ने और एक एफआईआर दरियागंज थाना में दर्ज की गई है.

सूचनाएं मीडिया को लीक करने का आरोप

कलीता ने याचिका दायर कर कहा है कि क्राइम ब्रांच ने आरोपों के संबंध में कुछ खास सूचनाएं मीडिया को लीक कर रही है. कलीता की ओर वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि ऐसी सूचनाएं लीक कर ट्रायल को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि असम में कलीता के खिलाफ एक खास खबर छापी गई जिससे कलीता और उसके परिवार वालों की जान खतरे में पड़ गई है.

कोर्ट ने दिया था हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के डीसीपी को निर्देश दिया कि वो इस बारे में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताएं कि क्या क्राइम ब्रांच के किसी अधिकारी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी तीसरे व्यक्ति, पत्रकारों या सोशल मीडिया के जरिये सूचना सर्कुलेट की है. कोर्ट ने डीसीपी को दो हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करें. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो कलीता या किसी दूसरे आरोपी के खिलाफ किसी आरोपों या साक्ष्यों के संबंध में कोई जानकारी साझा नहीं करें.



न्यायिक हिरासत में है कलीता

कलीता फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. उसे दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने पिछले 2 जून को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दर्ज एक मामले में जमानत दे दी थी. देवांगना कलीता पिंजरा तोड़ संगठन से जुड़ी हुई हैं. लेकिन उसके बाद क्राइम ब्रांच ने उसे दूसरे एफआईआर के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. कलीता पर आरोप है कि उसने पिछले 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगना कलीता की उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कलीता ने कहा है कि क्राइम ब्रांच आरोपों के संबंध में कुछ खास सूचनाएं मीडिया को लीक कर रही है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकों और पत्रकारों का ये अधिकार है कि वे ये जानें कि समाज में क्या हो रहा है. इस मामले पर हाईकोर्ट 9 जुलाई को सुनवाई करेगा.

नागरिकों और पत्रकारों को समाज में घट रही घटनाओं को जानने का अधिकार- दिल्ली पुलिस
मीडिया कैंपेन चलाने का आरोप

दिल्ली पुलिस ने कहा कि देवांगना कलीता ने मीडिया कैंपेन चलाकर आम लोगों की सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की. ऐसा कर कलीता ने निष्पक्ष ट्रायल में बाधा डालने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस ने कहा कि 2 जून को जो संक्षिप्त नोट जारी किया गया, वो आम लोगों और पत्रकारों को जानने के अधिकार के तहत था. राजनीतिक अभियान चलाया जा रहा था कि पुलिस एक खास समुदाय को निशाना बना रही है. इस परिस्थिति में लोगों को जानकारी देना जांच एजेंसी के लिए जरुरी था.

आरोपों के बारे में मीडिया से साझा नहीं करने का निर्देश

पिछले 11 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वो देवांगना कलीता या किसी दूसरे आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से संबंधित आरोपों और साक्ष्यों से संबंधित सूचना किसी व्यक्ति, मीडिया या सोशल मीडिया से साझा नहीं करें. देवांगना कलीता के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज किए हैं. दो एफआईआर जाफराबाद थाने में दर्ज किए गए हैं. जबकि एक एफआईआर क्राइम ब्रांच ने और एक एफआईआर दरियागंज थाना में दर्ज की गई है.

सूचनाएं मीडिया को लीक करने का आरोप

कलीता ने याचिका दायर कर कहा है कि क्राइम ब्रांच ने आरोपों के संबंध में कुछ खास सूचनाएं मीडिया को लीक कर रही है. कलीता की ओर वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि ऐसी सूचनाएं लीक कर ट्रायल को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि असम में कलीता के खिलाफ एक खास खबर छापी गई जिससे कलीता और उसके परिवार वालों की जान खतरे में पड़ गई है.

कोर्ट ने दिया था हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के डीसीपी को निर्देश दिया कि वो इस बारे में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताएं कि क्या क्राइम ब्रांच के किसी अधिकारी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी तीसरे व्यक्ति, पत्रकारों या सोशल मीडिया के जरिये सूचना सर्कुलेट की है. कोर्ट ने डीसीपी को दो हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करें. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो कलीता या किसी दूसरे आरोपी के खिलाफ किसी आरोपों या साक्ष्यों के संबंध में कोई जानकारी साझा नहीं करें.



न्यायिक हिरासत में है कलीता

कलीता फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. उसे दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने पिछले 2 जून को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दर्ज एक मामले में जमानत दे दी थी. देवांगना कलीता पिंजरा तोड़ संगठन से जुड़ी हुई हैं. लेकिन उसके बाद क्राइम ब्रांच ने उसे दूसरे एफआईआर के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. कलीता पर आरोप है कि उसने पिछले 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.

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