नई दिल्लीः गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने को हैं और सोमवार से स्कूल खुल रहे हैं. इसको लेकर छोटे से लेकर बड़े बच्चे भी काफी उत्साहित हैं. कोई नई वाटर बोतल, तो कोई अपने पसंद के स्कूल बैग की डिमांड कर रहा है. दुकानदारों की मानें तो इस साल यूनिकॉर्न और स्पाइडर मैन बैग बच्चों की पहली पसंद बन रहे हैं. 'ETV भारत' ने वेस्ट दिल्ली के मशहूर बाजार तिलक नगर के बैग मार्केट में कुछ दुकानदारों से बातचीत की. उन्होंने डिमांड और स्टाइल को लेकर कई अहम जानकारी दी.
10 वर्षों से स्कूल बैग और ट्राली की बिक्री करने वाले सचिन ने बताया कि बच्चे अट्रैक्टिव और कॉर्फूल बैग लेना पसंद कर रहे हैं. वहीं पैरेंट्स किताबों के वजन को देखते हुए लाइट वेट बैग ले रहे हैं, ताकि बच्चा आसानी से बैग को उठा सके. इसके अलावा आजकल ट्रॉली स्कूल बैग भी काफी चलन में है. इससे बचे के कंधों पर वजन कम पड़ता है. मार्किट में बैग खरीदने वाले ग्राहकों में 20 फीसदी ट्राली वाले बैग ही मांगते हैं.
बता दें कि 2020 में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने नई स्कूल बैग नीति को जारी की थी. इसके अनुसार बच्चों के स्कूल बैग का वजन बच्चे के खुद के वजन के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. इसको ध्यान में रखकर अब बैग बनाने वाली कंपनियों ने बैग के वजन को भी कम कर दिया है. हम सभी का एक पसंदीदा रंग होता है. ऐसे ही छोटे बच्चे भी सेलेक्टिव रंग के बैग लेना पसंद करते हैं. सचिन ने बताया कि बच्चियां ज्यादातर पिंक, पर्पल और रेड कलर के बैग लेना चाहती हैं. वहीं लड़के डार्क कलर्स को ज्यादा पसंद करते हैं.
सभी बच्चे कार्टून के शौकीन होते हैं. खास तौर पर 10 साल तक के बच्चे अपनी हर चीस में अपना पसंदीदा कार्टून करैक्टर तलाशते हैं. सचिन ने बताया कि इस साल बैग के मार्किट में सब से ज्यादा यूनिकॉर्न और स्पाइडर मैन वाले बैग डिमांड में हैं. इससे पहले छोटा भीम, डोरीमोन, सिंडरेला और एल्सा वाले बैग डिमांड में थे.
बता दें कि मार्किट में बैग के बड़े बड़े ब्रांड्स मौजूद हैं. फिर भी पैरेंट्स ब्रांडेड बैग की फर्स्ट कॉपी लेना ज्यादा पसंद करते हैं. सचिन ने बताया कि खास तौर पर जो लोग मिडिल क्लास के होते हैं और उनके बच्चे भी छोटे होते हैं, वह लोग ब्रांडेड बैग की फर्स्ट कॉपी ही लेना चाहते है. क्योंकि उनको मालूम है कि एक साल बाद बच्चा फिर से नए बैग की डिमांड करेगा.आपने कोरोना माहमारी के दौरान सुना होगा की कई लोगों के बिजनेस पूरी तरह से ठप हो गए थे. उस समय बैग का मार्केट बिल्कुल ही खत्म हो गया था. बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज होती थी. दो साल तक बच्चों ने अपने घरों में फोन, लैपटॉप, टैब और कंप्यूटर स्क्रीन के सामने क्लास ली.
20 वर्षों से तिलक नगर में स्कूल बैग की बिक्री करने वाले राम सिंह ने कोरोना महामारी के समय को याद करते हुए बताया कि उस दौर जहन में लाते ही रूह कांप जाती है. उस वक्त बच्चों की फीस और मकान का किराया अदा करने के भी पैसे नहीं हुआ करते थे. मुश्किल के समय में कई लोगों ने उनकी मदद की. उन्होंने बताया कि कोरोना के बाद से मार्किट में अच्छा उछाल आया था. लेकिन इस साल कुछ कारणों के चलते बाजार में मंदी छायी है. वरना इस समय दुकान पर ग्राहकों की लाइन लगी रहती थी. हर रोज लगभग 20 से 25 बैग बेच दिया करते थे. वहीं इस साल दिन के मात्र 3 से 4 बैगों की ही सेल हो पा रही है.
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