नई दिल्ली : राजधानी में कोरोना की सुस्ती और डेंगू के बढ़ते मामले के बीच चिकनगुनिया (chikungunya cases in delhi) के मामलों ने स्वास्थ्य एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. सरकारी व निजी अस्पतालों में चिकनगुनिया के मामलों में 10 से 15 फीसद वृद्धि दर्ज की गई है. नगर निगम की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते एक हफ्ते में चिकनगुनिया के 41 मामले सामने आए हैं. बता दें कि चिकनगुनिया को हड्ड़ी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है. इसका मरीज 10-15 दिनों में ठीक हो जाता है लेकिन उसके जोड़ों, हड्डियों में लंबे समय तक दर्द रहता है.
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि जो संदिग्घ मरीज आ रहे हैं उन्हें भर्ती किया जा रहा है. इसके अलावे पूर्वी दिल्ली स्थित जीटीबी‚ मध्य दिल्ली स्थित हिंदुराव, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल‚ हरीनगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल‚ संजय गांधी स्मारक अस्पताल में बुधवार तक चिकनगुनिया के 131 संदिग्धों को भर्ती किया गया है. मौसम में बदलाव होने से डेंगू‚ मलेरिया के मामलों में भी वृद्धि दर्ज की गई है. दिल्ली सरकार के संक्रामक नियंत्रण केंद्र के डॉ अभिषेक बंसल का कहना है कि चिकनगुनिया के मामलों में तेजी जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है.
जानिए कैसे होता है चिकनगुनिया
चिकनगुनिया एक वायरल बुखार है, जो संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है. चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित मच्छर जब किसी व्यक्ति को काट लेता है तो यह वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है. इस बीमारी का सबसे पहला मामला साल 1952 में अफ्रीकी देश तंजानिया के दक्षिणी हिस्से में सामने आया था. चिकनगुनिया के संक्रमण में अचानक बुखार और जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है. इसके अलावा सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में सूजन के साथ ही शरीर पर चकत्ते भी हो सकते हैं.
चिकनगुनिया वायरस को उसका यह नाम किमाकॉन्डे भाषा से मिला है, जिसका अर्थ मुड़ने या झुकने से है. चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित व्यक्ति के जोड़ों में इतना दर्द होता है कि वह व्यक्ति उस हिस्से से मुड़ या झुक जाता है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ राजीव सूद बताते हैं कि चिकनगुनिया के मच्छर प्रायः दिन में काटते हैं‚ खासकर तड़के सुबह. मच्छर काटने के तीन से चार से दिनों के बीच चिकनगुनिया बीमारी के लक्षण दिखने लगता है. इस वायरल इंफेक्शन में भी सबसे पहले तेज बुखार होता है. इसके अलावा सिर दर्द‚ बेचैनी‚ स्किन पर रैशेज आदि भी देख सकते हैं. इसमें बहुत ज्यादा थकान का अनुभव होता है. इसे पहचानने में थोड़ी दिक्कत इसलिए होती है‚ क्योंकि इसी तरह के लक्षण डेंगू और जीका बुखार में भी होते हैं. लेकिन यदि आपको तेज बुखार है और जोड़ों में असहनीय दर्द है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है.
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चिकनगुनिया के बचाव के तरीके
चिकनगुनिया उन बीमारियों में से एक है, जिनका अभी तक वैज्ञानिक इलाज नहीं खोज पाए हैं. इसके लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है. इसलिए चिकनगुनिया से बचाव ही इसका इलाज है.
- जहां मच्छरों का प्रकोप हो वहां आने-जाने से बचें.
- मच्छरों या कीड़ों से बचाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करें.
- लंबी बाजू की शर्ट और पैंट पहनें.
- घर के अंदर और बाहर मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए जरूरी कदम उठाएं.
- मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और मच्छर मारने या भगाने वाली दवा का छिड़काव करें.
- अपने घर और आसपास, खाली जगहों पर गमलों, बाल्टियों, टायर आदि में पानी इकट्ठा न होने दें.
- खिड़की के पास तुलसी का पौधा रखने से भी घर में मच्छर कम आते हैं.
- खूब सारा पानी पिएं और स्वयं को हाइड्रेटेड रखें.
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